पुलिस आयुक्त मोहित अग्रवाल द्वारा साइबर सेल के कार्यों की मासिक समीक्षा की गई

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साइबर अपराधों की रोकथाम व जनसहभागिता के लिए दिये गये निर्देश


वाराणसी।
गुरूवार को पुलिस आयुक्त वाराणसी मोहित अग्रवाल द्वारा कैम्प कार्यालय स्थित सभागार में साइबर सेल व साइबर थाना के कार्यों की मासिक समीक्षा गोष्ठी की गई। गोष्ठी के दौरान पुलिस आयुक्त ने साइबर अपराध (फ्रॉड) की रोकथाम हेतु उपस्थित अधिकारियों को लगातार साइबर जागरुकता चलाये जाने हेतु निर्देशित किया। उक्त गोष्ठी के दौरान अपर पुलिस आयुक्त अपराध राजेश सिंह, पुलिस उपायुक्त अपराध सरवणन टी., अपर पुलिस उपायुक्त अपराध श्रुति श्रीवास्तव, सहायक पुलिस आयुक्त अपराध एवं अन्य अधिकारी/कर्मचारीगण उपस्थित रहे।

जिसमें वर्ष 2025 में अब तक साइबर थाना व सेल द्वारा किये गये उल्लेखनीय कार्यों को बताया गया। जिसमें साइबर अपराध के पंजीकृत 20 अभियोगों में 14 अभियुक्तों की गिरफ्तारी की गई एवं साइबर अपराध गैंग के 09 सदस्यों पर गैंगेस्टर की एवं 10 साइबर अपराधियों के विरूद्ध निरोधात्मक कार्यवाही की गई। साइबर, ऑनलाइन बैंकिग एवं यूपीआई फ्राड के 2000 से अधिक प्रकरणों का निस्तारण कर 2,95,50,122/- (दो करोड़ पंचानवे लाख पचास हजार एक सौ बाईस रूपये की धनराशि पीड़ितों को वापस दिलाई गई। संदिग्ध मोबाईल नम्बरों का परीक्षण कर 310 संदिग्ध मोबाईल नम्बरों की जांच कर उन्हे अवरोधित कराया गया, जिससे वित्तीय ठगी व साइबर अपराधों की रोकथाम सम्भव हुई। सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर फर्जी प्रोफाइल्स/आईडी की शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही कर 50 से अधिक मामलों में प्रोफाईल हटवाकर शिकायतकर्ताओं को राहत दी गई। विभिन्न विद्यालयों/महाविद्यालयों एवं सार्वजनिक स्थलों पर 45 से अधिक जागरूकता शिविर आयोजित कर 15000 से अधिक छात्रों/आमजन को साइबर सुरक्षा उपायों की जानकारी दी गई।

साइबर अपराध के अनावरण व अपराधियों पर प्रभावी कार्यवाही किये जाने हेतु दिये गये निर्देश जो इस प्रकार है – साइबर फ्राड के लम्बित अभियोगों में साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी व साइबर ठगी की गई राशि की बरामदगी करते हुए विवेचनाओं का शीघ्र निस्तारण किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। जनता की जागरूकता व सतर्कता के कारण असफल हुए साइबर फ्राड अपराधियों के मोबाईल नम्बरों को संकलित कर तकनीकी विश्लेषण किया जाये एवं सिम धारकों की जांच कर अपराध में संलिप्तता पाये जाने पर उनके विरूद्ध विधिक कार्यवाही किये जाने के निर्देश दिये गये। गिरफ्तार हुए साइबर अपराधियों व उनके गैंग के सदस्यों के विरूद्ध गैंगेस्टर की कार्यवाही कर उनकी चल-अचल सम्पत्ति का जब्तीकरण किये जाने एवं साइबर अपराधियों की सतत निगरानी हेतु सम्बन्धित जनपदों के पुलिस अधीक्षकों से समन्वय स्थापित कर हिस्ट्रीशीट खोले जाने हेतु निर्देशित किया गया। सभी पुलिसकर्मी को वर्तमान समय में घटित हो रहे साइबर अपराधों एवं उनके अनावरण एवं रोकथाम हेतु समय-समय पर प्रशिक्षित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया।

साइबर-अपराध से बचाव हेतु व्यापक जनजागरूकता अभियान चलाये जाने के निर्देश दिये गये, जो इस प्रकार है – साइबर अपराधों की जानकारी व बचाव के उपायों के प्रति आमजन को जागरूक करने हेतु व्यापक व प्रेरणादायक अभियान चलाये जाये। शैक्षणिक संस्थानों (स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालय) में समय-समय पर कार्यशालाएं आयोजित कर छात्रों को लाइव डेमो व केस स्टडी के जरिए सतर्क किया जाये। बच्चों और किशोरों को “साइबर सेफ किड्स” के माध्यम से उन्हें अन्जान ऑनलाइन दोस्तों और गेमिंग प्लेटफॉर्म्स पर ठगी से बचने हेतु सजग किया जाये। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वीडियो इंफोग्राफिक्स व शॉर्ट टिप्स प्रसारित कर जागरूकता फैलायी जाये। ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में एनीमेटेड वीडियो और नुक्कड़ नाटक के माध्यम से साइबर सुरक्षा संदेश प्रभावी व मनोरंजक ढंग से प्रसारित किये जाये। “डिजिटल वॉरियर” कार्यक्रम के तहत युवाओं को प्रशिक्षण दिया जाये जिससे आमजन को जागरूक करने में सक्रिय भूमिका निभा सकें।

वर्तमान समय में साइबर अपराधियोंएवं उनसे सुरक्षा व बचाव हेतु सुझाव दिये गये, जो इस प्रकार है – फर्जी कॉल्स, डिजिटल गिरफ्तारी जैसे स्कैम से सावधान रहें। पुलिस व अन्य संस्थायें ऑनलाइन गिरफ्तारी नहीं करती है। किसी भी संदिग्ध मैसेज या पैसे मांगने वाले उदाहरण – आपका खाता बन्द हो जायेगा, आपके खिलाफ केस दर्ज है जैसे कॉल पूरी तरह फर्जी है ऐसे कॉल की सूचना तत्काल पुलिस को दें। साइबर अपराधी अक्सर भावनात्मक दबाव उदाहरण- आपका बेटा या परिजन मुसीबत में है, मैं मुसीबत में हुँ मुझे पैसे चाहिये आदि का प्रयोग करते है तो उसकी सत्यता की पुष्टि फोन-कॉल या व्यक्तिगत संपर्क से करें। लुभावने ऑफर, जॉब ऑफर, लॉटरी या निवेश योजनाएं जो अवास्तविक लाभ (कई गुणा लाभ) का वादा करती हों, अक्सर साइबर ठगी का हिस्सा होती है। अंजान लिंक पर क्लिक करने से बचे, ये मालवेयर या डेटा चोरी का साधन हो सकते हैं, इससे आपके व्यक्तिगत डाटा साइबर अपराधियों को प्राप्त हो सकते है। निजी जानकारी, बैंक खाता विवरण, ओटीपी, पासवर्ड, आदि किसी के साथ साझा न करें। मजबूत पासवर्ड, दो चरणीय-सत्यापन और विश्वसनीय एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करें। साइबर अपराध से बचाव हेतु चलाये जा रहे जागरूकता अभियान के तहत मोबाईल कालर ट्यून को ध्यान से सुनें एवं उस पर अमल करें।

साइबर फ्रॉड/अपराध की स्थिति में करें निम्नलिखित कार्यवाही, जो इस प्रकार है – प्रथम 24 घण्टे अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं, तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर कॉल करें या निकटतम थाने जाकर रिपोर्ट दर्ज करें। सम्बन्धित बैंक को तुरंत सूचित कर खाता फ्रीज कराएं और संदिग्ध लेन-देन की जानकारी दें।स्क्रीनशॉट, मैसेज, कॉल रिकॉर्ड और ई-मेल जैसे साक्ष्य सुरक्षित रखें ये जाँच में सहायक सिद्ध होते हैं।

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