फर्जी मुख्तारनामा के आधार पर सट्टा की जमीन विक्रय करने का आरोप
वादी मुकदमा ने अपने अधिवक्ता अनुज यादव, डीएन यादव, नरेश यादव व संदीप यादव के जरिए अदालत में प्रार्थना पत्र दिया था
वाराणसी। धोखाधड़ी व कूटरचना करते हुए फर्जी मुख्तारनामा दिखा कर मां द्वारा पूर्व में सट्टा की हुई जमीन का विक्रय करने के मामले में अदालत ने इटही, मरूई (राजातालाब) निवासी आरोपित दयाशंकर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का आदेश रोहनिया पुलिस को दिया है। विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कृष्ण कुमार की अदालत ने यह आदेश कृष्ण कुमार सिंह की ओर से दिए गए आवेदन पर सुनवाई के बाद दिया।
प्रकरण के अनुसार वादी मुकदमा कृष्ण कुमार सिंह ने अपने अधिवक्ता अनुज यादव, डीएन यादव, नरेश यादव व संदीप यादव के जरिए अदालत में बीएनएनएस की धारा 173 (4) के तहत प्रार्थना पत्र दिया था। आरोप था कि इटही, मरूई (राजातालाब) निवासिनी मुलिया देवी से रोहनिया स्थित खनाव में 8 मार्च 2013 में सुरेंद्र कुमार सिंह के हक में 12 बिस्वा जमीन रजिस्टर्ड सट्टा किया था।
जिसके उपरांत सुरेंद्र कुमार सिंह ने उक्त सट्टा की जमीन वादी मुकदमा कृष्ण कुमार सिंह को 28 फरवरी 2018 को मुलिया देवी की पुष्टि से संपूर्ण आराजी रजिस्टर्ड सट्टा कर दिया। साथ ही 21 फरवरी 2022 को सट्टाशुदा जमीन में से आधा भाग यानी 6 बिस्वा की रजिस्ट्री कर दिया। जबकि शेष सट्टाशुदा भूमि पर वादी काबिज चला आ रहा है।
इस बीच मुलिया देवी के पुत्र दयाशंकर जो मुलिया देवी का मुख्तारेआम रहा, उसने भक्ति नगर, पांडेयपुर निवासी मंगल प्रसाद सिंह के साथ मिलकर आपराधिक षडयंत्र के तहत धोखाधड़ी व कूटरचना करते हुए गलत तथ्यों का उल्लेख कर एक फर्जी विक्रय विलेख तैयार करके उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया।
साथ ही उसकी सट्टा शुदा जमीनों को बिना मुलिया देवी की सहमति के दूसरों को बेच दिया। इसकी जानकारी होने पर मुलिया देवी ने दयाशंकर को दिया मुख्तारनामा भी निरस्त कर दिया और अधिकारियों को इसके बाद सूचना भी दिया। बावजूद इसके दयाशंकर और मंगला प्रसाद आपस में मिली भगत करते हुए उसकी जमीनों को हड़पने के प्रयास में लगे हुए है और विरोध करने पर गलियां देते हुए जान से मारने की धमकी दे रहे हैं।
इस मामले में पुलिस को सूचना देने के बाद भी जब कोई कार्यवाही नहीं हुई तो वादी ने अदालत की शरण ली। अदालत ने इस मामले में रोहनिया थाना प्रभारी को उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर कार्यवाही से न्यायालय को अवगत कराने का आदेश दिया है।