नदेसर कोठी विवाद में नगर निगम वाराणसी ने दिया फैसला
काशी की बहुचर्चित नदेसर कोठी मामले में नगर निगम के वरुणा पार जोन के संयुक्त नगर आयुक्त जितेंद्र आनंद ने बड़ा निर्णय सुनाया है। अब नदेसर कोठी के नामांतरण में केवल काशी नरेश डॉ. विभूति नारायण सिंह के पुत्र कुंअर अनंत नारायण सिंह ही नहीं, बल्कि उनकी तीनों पुत्रियों विष्णुप्रिया, हरीप्रिया और कृष्णाप्रिया का नाम भी नगर निगम के रिकॉर्ड में गृहकर मद में दर्ज किया जाएगा।
नदेसर स्थित भवन संख्या एस-18/240 (नदेसर कोठी) नगर निगम के अभिलेख में पहले से गृहकर हेतु दर्ज है। अधिकारी ने स्पष्ट किया कि यह नामांकन केवल गृहकर वसूली के लिए है, और इसका संबंध भवन के स्वामित्व निर्धारण से नहीं है। स्वामित्व के अधिकार अलग प्रक्रिया और न्यायिक निर्णय के अधीन होते हैं।
वहीं संयुक्त नगर आयुक्त के अनुसार, यह नामांतरण काशी नरेश की बड़ी बेटी विष्णुप्रिया की ओर से प्रस्तुत प्रार्थना पत्र के आधार पर किया गया है। उन्होंने बताया कि विष्णुप्रिया ने नगर निगम के वरुणा पार जोन कार्यालय में आवेदन देकर दावा किया था कि उनके पिता डॉ. विभूति नारायण सिंह का निधन 25 दिसंबर 2000 को और माता का निधन 1996 में हुआ था। उनके चार संतानों में एक पुत्र अनंत नारायण सिंह और तीन बेटियां हैं।
विष्णुप्रिया ने आरोप लगाया कि उनके भाई कुंअर अनंत नारायण सिंह के मुख्तार-ए-आम (पॉवर ऑफ अटॉर्नी धारक) रूद्र नारायण पाठक ने नगर निगम को गुमराह कर झूठा शपथ पत्र प्रस्तुत किया और अनंत नारायण सिंह को काशी नरेश का एकमात्र वारिस दर्शा दिया गया।
इस आधार पर भवन का नामांतरण केवल अनंत नारायण के नाम दर्ज कर दिया गया, जिसकी उन्हें और उनकी बहनों को जानकारी तक नहीं मिली।
प्रार्थना पत्र मिलने के बाद नगर निगम ने दोनों पक्षों से दस्तावेज और साक्ष्य मांगे। उसके बाद कानूनी राय ली गई, जिसमें यह निष्कर्ष निकला कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम के अनुसार डॉ. विभूति नारायण सिंह के चारों संतान एक पुत्र और तीन पुत्रियां विधिसम्मत उत्तराधिकारी हैं और सभी को विरासत में समान अधिकार प्राप्त हैं।
संयुक्त नगर आयुक्त जितेंद्र आनंद ने कहा कि “यह निर्णय पूरी तरह से राजस्व (गृहकर) उद्देश्य की पूर्ति के लिए लिया गया है। यह भवन के मालिकाना हक या कब्जा अधिकार को प्रमाणित नहीं करता।”