पीड़िता ने दुष्कर्म व ब्लैकमेलिंग का लगाया था आरोप
अदालत में व्यवसाई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव, संदीप यादव व नितेश सिंह ने पक्ष रखा।
वाराणसी। शहर के प्रमुख समाजसेवी एवं प्रतिष्ठित व्यवसाई के खिलाफ दुष्कर्म, ब्लैकमेलिंग समेत अन्य गंभीर आरोपों में दाखिल प्रार्थना पत्र मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट मनीष कुमार की कोर्ट ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। अदालत में व्यवसाई की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अनुज यादव, नरेश यादव, संदीप यादव व नितेश सिंह ने पक्ष रखा।
प्रकरण के अनुसार पीड़िता ने अदालत में बीएनएसएस की धारा 174(3) के तहत प्रार्थना पत्र दाखिल किया था। आरोप था कि प्रमुख समाजसेवी एवं व्यवसाय एस. उदय शंकर राव विगत कई वर्षों से उसका शारीरिक और मानसिक शोषण कर रहे है। साथ ही उसे ब्लैकमेल करते रहते है। इस बीच 03 फरवरी 2025 को शाम 8:15 वह जालान महमूरगंज से खरीदारी कर अपने स्कूटी से घर लौट रही थी। उसी दौरान कि रथयात्रा-महमूरगंज रोड पर पिताम्बरी शोरूम के सामने विपक्षी प्रार्थिनी की स्कूटी जबरन रोककर धमकी देते हुए गाली-गुप्ता देने लगा।
साथ ही कहा कि अभी तो तुम्हें मुकदमें में फंसाया है, आगे तुम्हे जेल भेजूंगा। साथ ही तुम्हें बदनाम कर दूँगा। इतना कहते हुए विपक्षी प्रार्थिनी के साथ अपशब्दों का प्रयोग करते हुए छेड़खानी करते हुए आँख से गलत इशारे कर रहा था। विपक्षी एक दबंग, प्रभावशाली तथा पैसे वाला व्यक्ति है। उसने प्रार्थिनी के साथ जबरिया दबंगई के बल पर करीब तीन वर्षों से ब्लैकमेल कर शारीरिक व मानसिक आघात पहुँचा रहा है, परन्तु प्रार्थिनी डर व लोक-लज्जा के कारण कोई कानूनी कार्यवाही नहीं कर पायी। जिसके चलते वह आए दिन ब्लैकमेल कर रहा है। इस मामले में पीड़िता ने थाने लगायत उच्चाधिकारियों से शिकायत की, लेकिन जब कोई कार्यवाही न हुई तो पीड़िता ने अदालत की शरण ली।
अदालत में व्यावसाई के अधिवक्ताओं ने दलील दी कि व्यावसाई ने खुद सारनाथ थाने में पूर्व में ही पीड़िता के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। जिसमें उच्च न्यायालय के आदेश पर उसकी गिरफ्तारी पर रोक लगी है। उसी मुकदमे की रंजिश को लेकर पीड़िता ने फर्जी एवं मनगढ़ंत कहानी बनाकर कोर्ट में प्रार्थना पत्र दाखिल किया है।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस मामले में अपर पुलिस आयुक्त द्वारा की गई जांच में पीड़िता द्वारा लगाए गए सभी आरोप असत्य एवं निराधार पाए गए है। साथ ही पीड़िता ने अपने कथन के बाबत कोई साक्ष्य भी नहीं प्रस्तुत किया है। साथ ही पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट ही कि पीड़िता ने नाजायज दबाव बनाने के लिए उक्त आवेदन दिया है ऐसे उसका आवेदन खारिज किया जाता है।