मुहर्रम पर रविवार को चंदौली के दुलहीपुर में ताजिए के जुलूस में एक बुजुर्ग भूखे पेट लेटते हुए ढाई किलोमीटर की दूरी तय कर कर्बला पहुंचने का अद्वितीय कारनामा किया।
बगही गांव निवासी 62 वर्षीय सिराजुद्दीन उर्फ राजू भाई की यह यात्रा बगही गांव से शुरू होकर मुहम्मदपुर होते हुए दुलहीपुर कर्बला तक पहुंची। पूरे रास्ते उन्होंने जमीन पर लेटते हुए और “या हुसैन” कहते हुए अकीदत से कदम बढ़ाए। रास्ते में कहीं कीचड़, कहीं गिट्टी तो कहीं गहरे गड्ढे थे, लेकिन उनके हौसले में कोई कमी नहीं आई।
जब उनसे इस बलिदान और समर्पण के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा- मौला के साथ अन्याय हुआ और हम कुछ नहीं कर सके, तो कम से कम इस तरह मौला तक तो पहुंच सकें। इस दृश्य को देखने के लिए रास्ते भर लोगों की भीड़ जमा हो गई। हर कोई उनकी अकीदत को सलाम करता नजर आया।
यह पहला मौका था जब किसी बुजुर्ग को लेटते हुए ताजिए के साथ कर्बला पहुंचते देखा गया। राजू भाई रविवार की दोपहर 1:28 बजे अपने घर से निकले और करीब 4:40 बजे कर्बला पहुंचकर मातम किया। उनके साथ उनकी पत्नी पूरे रास्ते उनके साथ खड़ी रहीं। राजू भाई की यह यात्रा आने वाली पीढ़ियों के लिए समर्पण और हिम्मत का प्रतीक बनेगी।