मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा को हाल ही में अमेरिका से भारत प्रत्यर्पित किए जाने के बाद, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने उसकी गहन पूछताछ शुरू कर दी है। इस उच्चस्तरीय और संवेदनशील जांच की जिम्मेदारी दो वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों जया रॉय और आशीष बत्रा को सौंपी गई है।
दोनों अधिकारी 12 सदस्यीय एनआईए टीम का नेतृत्व कर रहे हैं, जो 2008 के 26/11 हमलों से जुड़े गहरे साजिश के जाल को सुलझाने की कोशिश कर रही है। जया रॉय, 2011 बैच की आईपीएस अधिकारी हैं, जो वर्तमान में एनआईए में उप महानिरीक्षक (DIG) के पद पर कार्यरत हैं। उनका जन्म 22 अप्रैल 1979 को पश्चिम बंगाल में हुआ था। उन्होंने एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी करने के बाद सिविल सेवा परीक्षा पास कर आईपीएस में चयन प्राप्त किया। उन्होंने झारखंड के साइबर अपराधियों के खिलाफ जामताड़ा में अभियान चलाकर राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई। 2019 में उन्हें एनआईए में एसपी के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था।
वहीं आशीष बत्रा, 1997 बैच के झारखंड कैडर के अधिकारी हैं, जो फिलहाल एनआईए में महानिरीक्षक (IG) के रूप में कार्यरत हैं। वे 2019 में एजेंसी में प्रतिनियुक्त हुए थे और उनका कार्यकाल दो साल और बढ़ा दिया गया है। उन्होंने 2018 में झारखंड की एंटी-इंसर्जेंसी यूनिट ‘झारखंड जगुआर’ का नेतृत्व किया था।
तहव्वुर राणा, जो पाकिस्तानी मूल के कनाडाई नागरिक हैं, पर 26/11 हमलों की साजिश रचने, हत्या, आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने और जालसाजी के गंभीर आरोप हैं। राणा को गुरुवार को भारत लाया गया और दिल्ली की अदालत ने उसे 18 दिनों की एनआईए हिरासत में भेज दिया।
जांच एजेंसी का कहना है कि राणा की भूमिका केवल मुंबई तक सीमित नहीं थी, बल्कि वह अन्य भारतीय शहरों में भी बड़े पैमाने पर आतंकी हमलों की योजना बना रहा था। एनआईए ने अदालत में कहा कि राणा से पूछताछ से कई महत्वपूर्ण सुराग मिलने की संभावना है, जो 26/11 हमलों में शामिल अन्य आतंकियों और पाकिस्तान स्थित साजिशकर्ताओं के नेटवर्क को उजागर कर सकते हैं।
राणा, 26/11 के मुख्य साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद गिलानी का करीबी है और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) व हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (HUJI) जैसे आतंकवादी संगठनों के साथ भी उसका संबंध रहा है। जांच एजेंसी अब राणा के बयानों और डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर साजिश की परतें खोलने में जुटी है।