वर्ष 2022 में महापौर पर लिखाई थी सामूहिक दुष्कर्म की प्राथमिकी, मुकदमा हुआ था एक्सपंज
उनके घर पर करती थी ब्यूटीशियन का काम, इस बार फिर से थी उन्हीं को फंसाने की तैयारी
बरेली। अपहरण के बाद सामूहिक दुष्कर्म और फिर गोली मारने का आरोप लगाने वाली महिला की झूठी कहानी की पोल खुल गई। उसको न तो गोली मारी गई और न ही अपहरण हुआ। उसने फिर से पहले की तरह महापौर उमेश गौतम को फंसाने को यह षड्यंत्र रचा था।
एक झोलाछाप से सीने में चीरा लगवाने के बाद फायर की हुई गोली को अपने सीने में रखवाया और फिर गोली मारने का शोर मचा दिया। उसके इस षड्यंत्र में शामिल जिला अस्पताल का एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी व एक झोलाछाप को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है।
आखिर एक बार मामला खत्म होने के बाद वह दोबारा से महापौर को क्यों फंसाना चाहती थी? सवाल पर जब पुलिस जांच शुरू की तो असली सच्चाई सामने आई।
2022 में महिला ने महापौर उमेश गौतम के विरुद्ध कोतवाली में सामूहिक दुष्कर्म की प्राथमिकी लिखाई थी। इससे पहले वह महिला महापौर के घर पर ब्यूटीशियन का काम करती थी। प्राथमिकी लिखाने के एक माह से पहले ही महिला ने एक शपथ पत्र दिया और कहा कि कुछ लोगों के भड़काने की वजह से उसने यह झूठी प्राथमिकी लिखाई। उसने जो भी आरोप लगाए हैं, वैसा उसके साथ कुछ भी नहीं हुआ।
इसके बाद पुलिस ने उस केस को उसी दौरान एक्सपंज कर दिया। झूठी रिपोर्ट लिखवाने के आरोप में पुलिस ने 182 की एक रिपोर्ट कोर्ट भेज दी। उस मामले तभी से सुनवाई चल रही थी। 25 अप्रैल को अंतिम चरण की सुनवाई थी। महिला को लगा कि इस सुनवाई में उसे सजा हो सकती है।
इसलिए उसने पुराने मामले को दोबारा खोलने और अपना पक्ष मजबूत बनाने व एक नए मामले में महापौर को फंसाने के लिए यह षड्यंत्र रचा था। महिला ने बताया कि उसके इस षड्यंत्र में जिला अस्पताल का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रोहिताश, झोलाछाप शराफत खां भी शामिल हैं। पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है। उन्हें जेल भेजा जाएगा।
कैसे हुई इस षड्यंत्र की शुरुआत? – महिला 25 अप्रैल से पहले ही पुराने मामले को मजबूत करने और नया मामला बनाने की तैयारी में थी। इसके लिए कई लोगों से बातचीत की लेकिन कोई काम नहीं आ रहा था। जिला अस्पताल का चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रोहिताश महिला का पूर्व से परिचित था, जिसकी वजह से महिला ने उससे पूरी बात बताई। इसी दौरान दोनों ने पूरी योजना का खाका खींचा और रोहिताश ने 10 हजार रुपये लेकर महिला को 26 मार्च को दो गोलियां उपलब्ध कराई।
कहा कि इसे किसी डॉक्टर से अपने सीने में चीरा लगवाकर रखवा लो। इससे कोई भी यह नहीं कहेगा कि गोली नहीं मारी गई। इसके बाद महिला ने कहा कि जिला अस्पताल के किसी डॉक्टर से ही ऐसा करा दें? तो किसी ने भी इस काम की हामी नहीं भरी। इसके बाद महिला ने निजी चिकित्सालयों के डॉक्टरों से संपर्क किया, लेकिन वहां भी किसी ने यह काम नहीं किया और महिला को भगा दिया।
पुलिस ने बताया कि महिला जब भी किसी डॉक्टर के पास जाती तो यही कहती कि उसका उसके पति से विवाद चल रहा है। गोली सीने में रखवाने के बाद उसे फंसाना हैं। जब कोई तय नहीं हुआ तो रोहिताश ने ही झोलाछाप शराफत खां के पास भेजा। शराफत खां ने 2500 रुपये लेकर महिला के सीने में चीरा लगाया और जो फायर गोली रोहिताश ने उसे दी थी वह उसमें इंसर्ट कर दी। इसके बाद वह गांधी उद्यान के पास आई और गिर गई। उसने राहगीरों को बताया कि कुछ लोग उसे गोली मारकर फरार हो गए। भागते हुए उन्होंने उमेश गौतम के परिवार के व्यक्ति का नाम लिया।
क्या था पूरा मामला और कैसे खुला? – 29 मार्च की रात करीब आठ बजे डायल 112 के माध्यम से पुलिस को सूचना मिली कि गांधी उद्यान के पास एक महिला को कुछ लोगों ने कार से फेंकने के बाद गोली मार दी। पुलिस ने महिला को जख्मी हालत में जिला अस्पताल में भर्ती कराया और अज्ञात के विरुद्ध प्राथमिकी पंजीकृत कर ली।
महिला की ओर से दिए गए शिकायती पत्र में आरोप लगाया गया कि तीन सौ बेड अस्पताल से उसे कुछ लोगों ने काली गाड़ी से उसका अपहरण किया और कार के अंदर ही तीन लोगों ने उसका सामूहिक दुष्कर्म किया और गांधी उद्यान के पास धक्का देकर कार से उतार दिया और गोली मारकर फरार हो गए।
मामले में पुलिस ने जब जांच शुरू की तो सामने आया का महिला को तीन सौ बेड अस्पताल से किसी ने अपहरण नहीं किया। बल्कि, वह ऑटो से ही गांधी उद्यान तक आई थी।