केटामाइन दवा ‘इलाज रोधी अवसाद’ से ग्रस्त लोगों की सोच बदलने में मददगार
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अवसाद से दुनिया के पांच फीसदी वयस्क प्रभावित हैं और दुनियाभर की बीमारियों के बोझ में इसका एक बड़ा योगदान है। अवसाद से व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्षमता क्षीण होती जाती है जिसका प्रत्यक्ष बोध और जीवन की घटनाओं की व्याख्या करने से सीधा संबंध है।
केटामाइन दवा, अवसाद से ग्रस्त ऐसे लोगों को ठीक करने के लिहाज से एक प्रभावी दवा है जिन पर अन्य किसी प्रकार के इलाज का असर नहीं हो रहाहै।
इसके इस्तेमाल से अवसाद के लक्षणों में त्वरित और सतत रूप से कमी आती है। केटामाइन दवा का इस्तेमाल चिकित्सकों और पशु चिकित्सकों द्वारा मुख्यत: बेहोशी और दर्द नाशक के रूप में किया जाता है। फ्रांसीसी रोगियों पर किए गए एक छोटे अध्ययन ने इस बारे में गहरी अंतरदृष्टि प्रदान की है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक अवसाद से दुनिया के पांच फीसदी वयस्क प्रभावित हैं और दुनियाभर की बीमारियों के बोझ में इसका एक बड़ा योगदान है।
अवसाद से व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्षमता क्षीण होती जाती है जिसका प्रत्यक्ष बोध और जीवन की घटनाओं की व्याख्या करने से सीधा संबंध है। अवसाद से ग्रस्त लोग दुनिया को निराशावादी नजरिये से देखते हैं और इसे निरर्थक और आशाहीन समझते हैं।
बहुत अधिक निराशा से ग्रसित (परवेसिव पेसिमिज्म) व्यक्ति उन सूचनाओ को ग्रहण करने से इनकार कर देता है, जो भविष्य के बारे में उसके मजबूत नकारात्मक विचारों के खिलाफ होती हैं।
बहुत अधिक अवसाद या बाइपोलर अवसाद से ग्रसित करीब एक तिहाई लोगों की हालत में महीनों तक इलाज के बावजूद कोई महत्वपूर्ण सुधार नहीं दिखा।
लेकिन सोचने की प्रक्रिया पर पड़ने वाले केटामाइन के असर को तब बेहतर तरीके से समझा जा सकता है जब हम उन तरीकों पर विचार करते हैं जिनका इस्तेमाल स्वस्थ लोग सोचने में करते हैं।
जब लोग कोई निर्णय लेते हैं, तो सामान्य तौर पर उपलब्ध चुनावों के संभावित परिणाम के बारे में पहले कुछ परिकल्पना करते हैं या अनुमान लगाते हैं शोध में इसके पहले पता चला था कि मानव में एक मजबूत सकारात्मक पूर्वाग्रह होता है।
इसके मुताबिक अधिकांश लोग सकारात्मक घटनाएं होने की संभाव्यता को आवश्यकता से अधिक आंकते हैं जैसे कि नौकरी लगने और लॉटरी जीतने की सफलता।
इसी तरह लोग खुद से जुड़ी नकारात्मक घटनाओं की प्रत्याशा को कम करके आंकते हैं जैसे कि कार दुर्घटना या कैंसर रोग से पीड़ित होना।
लोगों के अच्छी खबर पर विश्वास करने की संभावना अधिक होती है यदि यह उनसे संबंधित होती हैं, इस प्रभाव को ‘अच्छी खबर/बुरी खबर पूर्वाग्रह’ के रूप में देखते हैं।
हालांकि, इस बात के सबूत हैं कि लोगों के सकारात्मक पूर्वाग्रह उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बनाये रखने में मदद कर सकते हैं। अध्ययन से पता चला कि अवसाद से ग्रस्त लोगों में सकारात्मक पूर्वाग्रह का अभाव होता है।
ऐसा लगता है कि इन विश्वासों का अवसाद और इलाज को निष्प्रभावी बनाने में अहम योगदान है।
‘जेएएमए साइकेट्री’ में पिछले हफ्ते प्रकाशित एक नए शोध में इस बात की पड़ताल की गई कि क्या केटामाइन सकारात्मक पूर्वाग्रह को फिर से संजोने का काम करता है, दिमाग में कोई परिवर्तन करने पर क्या होता है और क्या इस परिवर्तन का लंबे समम तक अवसादरोधी प्रभाव दिखता है?
अध्ययन में 56 लोगों की तुलना की गई। एक समूह में 26 इलाज रोधी अवसाद से ग्रस्त मरीज थे, जबकि ‘नियंत्रण’ समूह के स्वस्थ प्रतिभागियों की संख्या 30 थी। इलाज रोधी अवसाद से ग्रस्त मरीजों को केटामाइन दवा दी गई, लेकिन नियंत्रित समूह को कोई दवा नहीं दी गई।
उपलब्ध परिणाम के आधार पर शोधकर्ताओं ने पाया कि केटामाइन दिये जाने के बमुश्किल चार घंटे बाद ही इलाज रोधी अवसाद के मरीजों में त्वरित रूप से अवसाद निरोधक प्रभाव दिखा।
एक अन्य अध्ययन में 24 घंटों बाद केटामाइन के इस प्रभाव का और अधिक असर दिखा। यह असर सतत था और एक हफ्ते बाद अवसाद में काफी कमी दिखी।
अध्ययन से पता चला कि इलाज रोधी अवसाद से ग्रस्त मरीजों में केटामाइन के इस्तेमाल पर ‘सकारात्मक पूर्वाग्रह’ में काफी अधिक बढ़ोतरी हुई। हालांकि, इस दिशा में अभी और अध्ययन की जरूरत है।