Horoscope: इन चार राशियों के जातकों के बदल जाएंगे दिन, नौकरी-इंक्रीमेंट सहित व्यापार में होगा लाभ
Budhaditya Rajyog सूर्य ने बनाया महत्वपूर्ण विशेष राजयोग, वृश्चिक सहित 4 राशियों को नौकरी-इंक्रीमेंट-भौतिक सुख, बुधादित्य-धन योग से प्रतिष्ठा
Budhaditya Rajyog: ज्योतिष शास्त्र में कई तरह के राजयोग का वर्णन किया गया है। कई राजयोग जातकों के जीवन को प्रभावशाली बनाते हैं। वहीं कुछ राजयोग के लिए अन्य ग्रहों की युति आवश्यक होती है। इसी बीच जून महीने में हुए महत्वपूर्ण ग्रहों के राशि परिवर्तन की वजह से सात प्रकार के राजयोग का लाभ विभिन्न जातकों को मिल रहा है। इसी बीच मिथुन राशि में सूर्य और बुध की युति देखने को मिल रही है।
सूर्य और बुध की युति से एक तरफ जहां मिथुन राशि को बुद्धादित्य राजयोग का लाभ मिल रहा है। दूसरी तरफ विपरीत राजयोग का निर्माण हो रहा है। जुलाई के महीने से पूर्व बुध ग्रह ने मिथुन राशि में प्रवेश कर लिया है। पहले से मिथुन में सूर्य ग्रह विराजमान है। जिसके साथ ही बुधादित्य योग और विपरीत राजयोग का निर्माण हो रहा है। विपरीत राजयोग को जीवन में अचानक और बड़ी सफलता देने वाले राजयोग के रूप में देखा जाता है।
विपरीत राजयोग का निर्माण - जो कुंडली के छठे आठवें और बारहवें भाव के स्वामी युति संबंध बनाते हैं तो विपरीत राजयोग का निर्माण होता है। 6th ग्रह के स्वामी का आठवीं से बारहवीं ग्रह के स्वामी के साथ संबंध होता है या फिर 12वीं ग्रह के स्वामी का छठे या आठवें ग्रह के स्वामी के साथ ही थी निर्मित होती है। इसके साथ ही त्रिक भाव के स्वामी के अंतर्दशा के कारण इस राजयोग का निर्माण होता है, जो बेहद शुभ माना जाता है। अब बुध और सूर्य की उपस्थिति से मिथुन राशि में महत्वपूर्ण राजयोग का निर्माण हो रहा है।
कर्क - विपरीत राजयोग का लाभ कर्क राशि को मिलेगा। इस राशि के लिए बुध तीसरी और बारहवें भाव के स्वामी है। द्वादश भाव में सूर्य के साथ विराजमान है। ऐसे में इस राजयोग का शुभ परिणाम करके के जातकों को देखने को मिलेगा।
निवेश के साथ आय और निर्यात में सफलता हासिल होगी। इसके साथ ही कार्य क्षेत्र में सम्मान प्राप्त होगा। सूर्य आपको क्रियाशील और सकारात्मक ऊर्जा प्रवाह करेंगे। साथ ही विदेश में शिक्षा के लिए भी छात्रों द्वारा कदम उठाए जा सकते हैं। व्यापार में वृद्धि होगी धन निवेश का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही बुद्ध आपके बुद्धि और विवेक कौशल को मजबूती देंगे।
वृश्चिक - वृश्चिक राशि को विपरीत राजयोग का लाभ मिलेगा। इस राजयोग का निर्माण आठवें भाव में हो रहा है। बुध एकादश और अष्टम भाव के स्वामी है और अष्टम भाव में ही विराजमान है जबकि सूर्य के होने से इसके प्रभाव में वृद्धि होगी। ऐसे में पुरानी बीमारी से छुटकारा मिलेगा।
नौकरी और व्यवसाय में आकस्मिक धन लाभ हो सकते हैं। पदोन्नति के आसार बनते नजर आ रहे हैं। आध्यात्मिक की तरफ झुकाव जाएगा। साथ ही रिसर्च और छानबीन से जुड़े लोगों को फायदा हो सकता है। इसके साथ ही प्रतिष्ठा मान सम्मान में वृद्धि होगी।
मकर - मकर राशि के जातकों को विपरीत राज्यों का लाभ मिलेगा। आप की गोचर कुंडली में बुध छठे और नवम भाव के स्वामी हैं और छठे भाव में ही स्थित हैं। ऐसे में अष्टमेश सूर्य छठे भाव में मौजूद होकर बुध को मजबूती दे रहे हैं।
प्रबल राजयोग से कोर्ट कचहरी के मामले में सफलता मिलेगी। पराक्रम में वृद्धि होगी। साहस वृद्धि होगी। सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगा। इसके साथ ही धनी निवेश में लाभ हो सकता है। विदेश यात्रा के योग बन सकते हैं। प्रतिष्ठा सम्मान में वृद्धि होगी। समृद्धि का लाभ मिल सकता है।
धन योग - जन्म कुंडली के दूसरे ग्रह को वित्त के घर के रूप में जाना जाता है। दोनों ग्रहों में एक धन योग का संबंध होता है। लग्न कुंडली के द्वितीय पंचम नवम और एकादश भाव या इनके स्वामी कुंडली में जुड़े हो, तब धन योग का निर्माण होता है।
वहीं द्वितीय भाव के स्वामी एकादश भाव में और एकादश भाव के स्वामी द्वितीय भाव में हों, तब भी धन योग का लाभ जातकों को मिलता है। धन योग में बृहस्पति और शुक्र की महत्वपूर्ण भूमिका देखने को मिलती है।
धन योग का लाभ – धन योग बनने से लग्न के स्वामी दसवें भाव में हो तो माता-पिता से अधिक जातक धनवान होते हैं। केतु के ग्यारहवें भाव में होने पर जातक विदेश से आय करते हैं। बुध कर्क और मेष राशि में हो तब जातक समृद्ध होता है।
इसके साथ ही जातक धनवान होते, पैतृक संपत्ति से लाभ मिलता है। बुध और शुक्र किसी एक ग्रह में एक साथ गुरु के साथ हो तब धार्मिक साधनों के माध्यम से धन अर्जन होते हैं। इसके साथ ही सातवें घर में शनि और मंगल होने पर जुड़े और खेल के माध्यम से धन अर्जन होते हैं जबकि सातवें घर में मंगल शनि और राहु होने पर कमीशन से धन का लाभ मिलता है।
तुला, मकर, कुंभ, राशि के चौथे भाव में जातक की कुंडली होने पर वह प्रसिद्ध गणितज्ञ सहित लेखाकार के रूप में जाना जाता है। जबकि दसवीं घर में पांचवी घर का स्वामी हो तो जातक के माध्यम से धनवान बनता है।