Politics: राजनीतिक दलों के स्वार्थ से पनपते हैं देश को नुकसान पहुंचाने वाले ढोंगी बाबा

 
Politics: The hypocrites who harm the country thrive on the selfishness of political parties
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देश और समाज विरोधी र्कारवाई में लिप्त रहे पाखंडी बाबाओं और धर्म के ठेकेदारों को अंदाजा होता है कि राजनीतिक दल और सरकार वोट बैंक खिसकने के डर से आसानी से उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे। यदि सरकार ने ऐसा कोई प्रयास किया तो उनके समर्थक बवाल मचा देंगे।

Politics: यह पहला मौका नहीं है जब धर्म की आड़ में हथियार जमा करके खालिस्तान समर्थक अमृतपाल जैसे स्वयंभू धार्मिक प्रचारक ने देश की एकता-अखंडता को चुनौती दी है। दरअसल ऐसे कथित बाबा और स्वयंभू पंथ प्रवर्तक जब तक राज्य और देश के लिए खतरा नहीं बन जाते तब तक पुलिस और अन्य एजेंसियां तमाशबीन बनी रहती हैं। धर्म के नाम पर होने वाले इस तरह के कारनामों से भारत की छवि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब हुई है।

राजनीतिक दल ऐसे मुद्दों पर वोट खिसकने के भय से मौन साधे रहते हैं। ऐसे ढोंगियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में तभी लाई जाती है, जब राजनीतिक दलों को इनसे खतरा सताने लगता है। इससे पहले इनकी सारी आपराधिक हरकतों पर सरकारें वोट बैंक खिसकने के भय से चुप्पी साधे रहती हैं। ऐसा ही खालिस्तान समर्थक और संगठन वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल के मामले में हुआ। यह मुद्दा सिरदर्द बनने के बाद सरकारें बगलें झांकने लगीं।

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धर्म की आड़ लेकर समानान्तर सरकार चलाने का ख्वाब पालने वाले ऐसे कथित ढोंगियों को राजनीतिक दल शह देते आए हैं। जब पानी सिर से गुजरने लगता है, तब कार्रवाई की नौबत आती है। अमृतपाल ने जब सरेआम हथियारों के साथ प्रदर्शन किया, तब तक पुलिस कार्रवाई के लिए पंजाब सरकार का मुंह ताकती रही। केंद्र सरकार के चेतावनी देने के पर खतरे की गंभीरता के मद्देनजर कानूनी कार्रवाई की पहल की गई।

अमृतपाल से पहले भी दूसरे ऐसे दूसरे ढोंगी बाबाओं के मामलों में पुलिस, केंद्रीय सुरक्षा एजेंसियों और राजनीतिक दल तब तक कार्रवाई करने से कतराते रहे जब तक वे देश या राज्य के लिए खतरा नहीं बन गए। अमृतपाल के अलावा चर्चित मामला ढोंग विद्या में माहिर नित्यानंद स्वामी का है। नित्यानंद की धोखाधड़ी की गूंज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हुई। समय रहते हुए कार्रवाई नहीं करने से इससे भारत की छवि पर प्रतिकूल असर पड़ा है।

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नित्यानंद ने नागरिकों के अलावा अमेरिकी सरकार को अपने फरेब के जाल में फांस लिया और यह विश्वास दिला दिया कि वह एक देश कैलाशा का सर्वेसर्वा है। इस आधार पर उसने 30 अमेरिकी शहरों को ठग लिया। फर्जीवाड़े की इंतहा यह रही कि नित्यानंद संयुक्त राष्ट्रसंघ तक पहुंचने में कामयाब हो गया।

इस दौरान भारत और अमेरिका की सुरक्षा एजेंसियां सोती रहीं। शातिर नित्यानंद के हथकंडों का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कागजी देश कैलाशा का प्रतिनिधित्व करते हुए उसकी एक महिला प्रतिनिधि सबकी आंखों में धूल झोंकते हुए संयुक्त राष्ट्रसंघ में ऑनलाइन भारत के खिलाफ भाषण तक दे आई। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र की नींद खुली।

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भारत में धार्मिक आस्थाओं से खिलवाड़ करके देशद्रोह का काम करने वाले द्रोहियों की सूची काफी लंबी है। इसी श्रृंखला में देश की सुरक्षा एजेंसियों को अभी तक इस्लाम के कथित उपदेशक जाकिर नाइक की तलाश है। जाकिर नाइक पर भारत में भड़काऊ भाषण देने, मनी लॉन्ड्रिंग करने और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप है। मई 2019 में ईडी ने जाकिर नाइक के खिलाफ टेरर फंडिंग मामले में चार्जशीट दायर की थी। नाईक 2016 से भारत से बाहर है। उसके खिलाफ भारतीय एजेंसियों ने नोटिस जारी किया है।

इसी तरह ईसाई धर्म की आड़ में धार्मिक आस्थाओं को भुना कर अपने नापाक मंसूबे पूरे करने के प्रयास के मामले में तमिलनाडु के कन्याकुमारी में एक रोमन कैथोलिक पादरी जॉर्ज पोन्नैया को गिरफ्तार किया गया था। पादरी पोन्नैया पर धार्मिक समूहों के बीच नफरत और दुश्मनी फैलाने और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, डीएमके नेता एवं अन्य के खिलाफ विवादित टिप्पणी करने के आरोप लगे थे।

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ऐसे ही एक मामले में खुद को ईसा मसीह का दूत बताकर भविष्य में होने वाली घटनाओं की भविष्यवाणी करने का दावा करने वाले ठग पादरी बजिंदर सिंह को 2017 में अपनी ही फॉलोवर लड़की से दुष्कर्म के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। बजिंदर हत्या के मामले में जेल भी गया।

कथित धर्म गुरुओं ने कई बार लोगों की जान खतरे में डाली है। मध्य प्रदेश के रतलाम जिले के नयापुरा इलाके में कोरोना को चूम कर भगाने का दावा करने बाले मौलवी या इस्लामिक धर्मगुरु असलम कोरोना से संक्रमित पाया गया था, जिसके कुछ दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के पश्चात उसके सम्पर्क में आए 19 लोगों में से 4 की मौत हो गई। रेप और मर्डर के संगीन मामले में सजा काट रहे गुरमीत राम रहीम का प्रकरण पुराना नहीं है।

डेरा प्रमुख 2017 से हरियाणा की सुनारिया जेल में बंद है, जहां वह सिरसा में अपने आश्रम के मुख्यालय में दो महिला शिष्यों से बलात्कार के आरोप में 20 साल की सजा काट रहा है। उसकी गिरफ्तारी पर पंचकुला और सिरसा में दंगे हुए और 38 लोगों की मौत हो गई।

डेरा प्रमुख को राजनीतिक कारणों से पैरोल पर रिहा किए जाने के आरोप लगे। आसाराम बापू की गिरफ्तारी पर भी राजनीतिक दलों ने खूब शोर मचाया। आसाराम पर छेड़खानी, हत्या, जान से मारने की धमकी और दुष्कर्म करने का आरोप है। कुटिया में छात्रा से दुष्कर्म के आरोप में आसाराम जोधपुर जेल में बंद है।

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देश और समाज विरोधी र्कारवाई में लिप्त रहे इन पाखंडी बाबाओं और धर्म के ठेकेदारों को अंदाजा होता है कि राजनीतिक दल और सरकार वोट बैंक खिसकने के डर से आसानी से उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं करेंगे। यदि सरकार ने ऐसा कोई प्रयास किया तो उनके समर्थक बवाल मचा देंगे। इसी आड़ में वे न केवल समर्थकों की फौज खड़ी कर लेते हैं, यहां तक की हथियारों का जखीरा भी जमा करने से नहीं हिचकिचाते।

यही कारण है कि ऐसे ढोंगियो को कानून की परवाह नहीं होती। ऐसा नहीं है कि पुलिस और खुफिया एजेंसियों को इनकी करतूतों की जानकारी नहीं होती। पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों के हाथ बंधे होते हैं। सत्तारुढ़ दल की स्वीकृति के बगैर कोई कानूनी कार्रवाई सम्भव नहीं होती।

अमृतपाल सहित दूसरे ऐसे सरगना सरकारों की ऐसी कमजोरियों का फायदा उठाते हुए सिर उठाते रहे हैं। राजनीतिक दल और सरकारें देश को नुकसान पहुंचाने वाले ऐसे अपराधियों के मामले में वोट बैंक की राजनीति से परे जाकर कार्रवाई नहीं करेंगी तब तक लोगों की धार्मिक आस्था की आड़ में देशविरोधी कृत्य करने वालों को मौका मिलता रहेगा।

- साभार