आंखें फोडे, पंजे तोड़े, मंगवाई गई भीख, तीन पर FIR हुई दर्ज
नौकरी के बहाने युवक को भिखारी गिरोह को बेचा
उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक युवक को नौकरी दिलवाने के बहाने उसे भिखारी गैंग को बेच दिया गया और फिर उसे काफी यातनाएं दी गई। कानपुर के नौबस्ता स्थित रविंद्र नगर निवासी सुरेश मांझी नौकरी की तलाश कर रहे थे और इसी दौरान उनके परिचित विजय ने उन्हें नौकरी दिलवाने का वादा किया। ये घटना छह महीने पुरानी है।
नौकरी दिलवाने के बहाने सुरेश मांझी को उसके परिचित विजय ने उसे झकरकटी पुल के नीचे बुलाया और फिर उसे बंधक बना लिया। इसके बाद विजय उसे शहर से दूर लेकर चला जाता है। फिर परिजन शाम को युवक के घर न पहुंचने पर उसकी तलाश करते हैं, लेकिन उसका कोई पता नहीं चलता है।
रविवार को युवक अचानक अपने घर पहुंचता है लेकिन उसके घर वाले भी उसे नहीं पहचान पाते हैं। फिर स्थानीय पार्षद को घटना की सूचना दी जाती है और इसके बाद खूब हंगामा होता है।
पीड़ित सुरेश मांझी ने बताया, “गुलाबी बिल्डिंग के पास रहने वाला विजय नाम का व्यक्ति मजदूरी का काम का झांसा देकर अपने साथ ले गया था। उसने नशीला पदार्थ खिलाने के बाद मेरे हाथ-पैर पंजे के पास से तोड़ दिए और करीब 12 दिन मछिया के अपने घर में कैद रखा।
इसके बाद दोनों आंखों में केमिकल डालकर अंधा कर दिया गया। मेरे शरीर को कई जगह जलाया। इसके बाद मुझे झकरकटी पुल के नीचे किसी डेरे में रखा गया। पहले मुझे किसी महिला को बेचा गया था।
जहरीला इंजेक्शन लगाने के बाद कानपुर रेलवे स्टेशन से गोरखधाम-नई दिल्ली एक्सप्रेस से किसी राज नाम के व्यक्ति को सौंप दिया गया। विजय ने मुझे 70 हजार में बेचा था।”
इसके बाद सुरेश मांझी ने बताया कि मुझे दिल्ली ले जाने के बाद रोज वहां भीख मंगवाई जाती थी। पीड़ित ने बताया, “मुझे रोज सुबह 4 बजे जगाते थे और फिर भीख मंगवाते थे। दिन में केवल एक बार एक रोटी खाने को देते थे।
लगातार मुझे जहरीला इंजेक्शन दिया जाता था, जिससे मेरे शरीर में इन्फेक्शन हो गया। जिन लोगों ने मुझे खरीदा था, उन लोगों ने विजय से कहा कि मुझे इस लड़के के बदले दूसरा लड़का चाहिए।”
इसके बाद सुरेश ने बताया कि मेरी हालत बिगड़ने पर मुझे वापस कानपुर स्टेशन छोड़ दिया गया और मुझे दूसरी जगह बेचने की तैयारी करने लगे। इसके बाद सुरेश की हालत और बिगड़ती चली गई। वह कई दिनों तक सड़क किनारे बेहोशी हालत में पड़ा था।
बाद में होश में आने पर राहगीरों की मदद से उसने अपने घर पर सूचना दी और परिवार के पास पहुंचा।
स्थानीय पार्षद को इसकी सूचना दी गई और वह एफआईआर दर्ज करवाने के लिए अपने समर्थकों के साथ थाने पर पहुंचे। इसके बाद थाने का घेराव हुआ और काफी हंगामे के बाद मुकदमा दर्ज हुआ।
इस मामले पर डीसीपी प्रमोद कुमार ने कहा कि पुलिस जांच कर रही है और तीन अज्ञात लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है।