Mainpuri By Election: घर-घर वोट मांगते नजर आए अखिलेश, भाजपा ने भी दिखाया दम

 
Mainpuri By Election: Akhilesh was seen asking for votes from house to house, BJP also showed strength
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 मैनपुरी के मतदाताओं ने दो उपचुनावों सहित 21 चुनाव देखे हैं। वर्ष 1996 में मुलायम सिंह यादव के पहले लोकसभा चुनाव में कांटे का मुकाबला देखा है। उनके बाद खाली हुई इस सीट पर सपा और भाजपा की कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है।

मैनपुरी। प्रदेश ही नहीं देश के राजनीतिक मानचित्र पर महत्वपूर्ण स्थान रखने वाला मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र जो मुलायम सिंह यादव के गढ़ के रूप में जाना जाता है। यहां के मतदाताओं ने दो उपचुनावों सहित 21 चुनाव देखे हैं।

वर्ष 1996 में मुलायम सिंह यादव के पहले लोकसभा चुनाव में कांटे का मुकाबला देखा, फिर उसके बाद केवल पर्चा दाखिल कर सपा प्रत्याशियों के सांसद बनने के दौर के साक्षी बने। 

Mainpuri By Election: Akhilesh was seen asking for votes from house to house, BJP also showed strength

विरोधियों को अधूरे मन से चुनाव में उतरते देखा। परंतु इस बार जैसा चुनाव तो कभी नहीं देखा। पूरे चुनाव में एक-दो सभाएं करने वाले सैफई परिवार ने इस बार गांव-गांव की दौड़ लगाई है। सपा मुखिया अखिलेश यादव और परिवार के अन्य सदस्य रातों-दिन वोट मांगते नजर आए। 

इसके अलावा, पहली बार भाजपा ने यहां जीत के दावे के साथ पूरी ताकत झोंकी है। मैनपुरी लोकसभा सीट के इस उपचुनाव में खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो-दो जनसभाएं की। दोनों उप मुख्यमंत्रियों ने दो-दो दिन यहीं पर डेरा डाला और कई-कई जनसभाएं की। भाजपा की सभाओं में उमड़ने वाली भीड़ सपाइयों की धड़कनें बढ़ाती रही। 

स्थानीय नेताओं के साथ दोनों दलों के दर्जनों माननीय दिन-रात वोटों के लिए लोकसभा क्षेत्र की खाक छानते रहे। ऐसा राजनीतिक घमासान मैनपुरी ने पहली बार ही देखा है, जो राजनीतिक इतिहास का एक अध्याय बनने जा रहा है। 

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राजनीति में मुलायम सिंह यादव के उदय के बाद से मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में उनका प्रभाव बढ़ना आरंभ हो गया था। वर्ष 1996 में जब वह पहली बार सांसद बने तो फिर सपा ने ऐसा वर्चस्व बनाया कि बीते चुनाव कोई अन्य जीत की दहलीज तक नहीं पहुंचा।

जब भी चुनाव हुआ मुलायम सिंह यादव की चंद जनसभाएं और परिवार के अन्य सदस्यों की दो-चार बार आमद ही जीत सुनिश्चित कर देती थी।

वर्ष 2019 के चुनाव में जब मुलायम ने उसे अपना आखिरी चुनाव कहा था, तब तो मुलायम सिंह पर्चा भरने के बाद केवल एक जनसभा में आए थे। अब उनके निधन के बाद उपचुनाव की घोषणा हुई तो मैनपुरी का मतदाता प्रचार के वैसे ही माहौल की अपेक्षा कर रहा था।

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परंतु भाजपा ने सपा छोड़कर आए पूर्व सांसद रघुराज सिंह शाक्य को प्रत्याशी घोषित करने के साथ ऐसा आक्रामक रुख दिखाया कि पूरी तस्वीर ही बदल गई। 

पत्नी डिंपल यादव को प्रत्याशी घोषित के करने के बाद सपा मुखिया अखिलेश यादव ने पूरे चुनाव की कमान खुद संभाल ली। चाचा शिवपाल यादव के साथ अखिलेश का मिलन सुखियां बना। मतदाताओं को अचंभित करने वाला यह घटनाक्रम यहीं नहीं थमा। खुद अखिलेश, डिंपल यादव सहित पूरा परिवार गांव-गांव, घर-घर वोट मांगने पहुंचा। 

हर जगह मुलायम सिंह को वोट के रूप में श्रद्धांजलि देने की अपील की। ऐसा प्रचार अखिलेश यादव ने करहल विधानसभा सीट पर अपने खुद के चुनाव में भी नहीं किया था। भाजपा ने अखिलेश यादव के इस बदले अंदाज को भी प्रहार का हथियार बनाया। भाजपा नेताओं ने हर मंच से कहा कि उनको सामने हार दिख रही है, इसलिए गांव-गांव घूमने को मजबूर हुए हैं। 

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जनता में भी इस वार-पलटवार की जबरदस्त चर्चा है। दरअसल, भाजपा ने भी इस बार मैनपुरी के चुनावी इतिहास का सबसे जबरदस्त प्रचार किया है।

मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मंत्री, सांसद, विधायकों की बड़ी फौज पूरे लोकसभा क्षेत्र को मथने में लगी रही। इसके चलते ही अब भाजपा और सपा के बीच कांटे का मुकाबला होना तय माना जा रहा है।