Agra News : मैया यशोदा से जब 17 महीने बाद मिली बिटिया तो बहा ऐसा दर्द कि देखने वाले भी रो पड़े
Agra News : आगरा में अगस्त 2022 से पंचकुइयां स्थित राजकीय बाल गृह में निरुद्ध बालिका का अपने घर लौटने का इंतजार मंगलवार को खत्म हो गया। इलाहाबाद हाईकोर्ट का सुपुर्दगी में देने का आदेश लेकर यशोदा मां आगरा कैंट स्टेशन से ट्रेन से उतरने के बाद सीधे बाल गृह पहुंच गई।
बाल कल्याण समिति और डीपीओ के समक्ष औपचारिकताएं पूरी करने के बाद जब बच्ची बाहर आई तो मां से बेटी लिपट गई। मां की आंखों से दर्द का समुंदर बह निकला। टेढ़ी बगिया की रहने वाली पालनहार मां और बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस इलाहाबाद हाईकोर्ट का आदेश लेकर ट्रेन से प्रयागराज से सुबह 11 बजे आगरा कैंट रेलवे स्टेशन पर उतरकर सीधे बाल गृह पहुंच गए।
दोपहर करीब 12 बजे बाल कल्याण समिति को हाईकोर्ट के आदेश की प्रति सौंपी। इसके बाद जिला प्रोबेशन अधिकारी अजय पाल के सामने बच्ची को सुपुर्दगी में देने की प्रक्रिया पूरी करवाई गई। इस दरम्यान पालनहार मां के पति व अन्य परिजन भी मौजूद रहे।
दोपहर ढाई बजे आखिरकार वह घड़ी आई, जबकि साढ़े आठ साल की बच्ची को अपनी यशोदा मैया से मिलने का मौका मिला। गेट खोलते ही बेटी दौड़ती हुई मां की गोद में आकर सिमट गई। दोनों एक दूसरे से लिपटकर देर तक रोतीं रहीं। उनका यह मिलन देखकर बाल गृह पर मौजूद लोगों की आंखें भी नम हो गईं।
बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस ने बताया कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक, एक सप्ताह के भीतर गोद देने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। 17 महीने की जुदाई के बाद मासूम बेटी से मां मिली तो भाव विह्वल हो उठी। कभी बेटी के सिर को सहलाती तो कभी उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में लेकर चूमती।
देखती कहीं चोट तो नहीं लगी। बेटी भी अपनी मां की आंखों में छलके आंसुओं को नन्हीं अंगुलियों से पोंछती और मां से लिपटती....मानो कह रही हो...जमाना कुछ भी कहे मां मेरी जन्म देने वाली मां से बढ़कर तो तुम निकलीं। पालनहार मां बेटी को सुपुर्दगी में लेने के बाद बोली कि आज मेरी खुशी का ठिकाना नहीं है।
मैंने अपनी बेटी को दोबारा पाने के लिए क्या क्या जतन नहीं किए। भूखी प्यासी घंटों तक बाल गृह के सामने पड़ी रही। इस आस में कि शायद बेटी बाहर की तरफ आए और उसकी एक झलक देख सकूं। इसके बाद धरना दिया। अफसरों की चौखटों की धूल ले ली मगर न्याय नहीं मिला। मेरा क्या ये कसूर था कि मैंने एक बेटी बचाई, बेटी पढ़ाई, यह तो सरकार का ही नारा था। यह कहते हुए पालनहार मां फफक पड़ी।