Hijama Therapy: 6 हजार साल पुरानी है हिजामा थेरेपी : डा. ए. बशर

 
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6 हजार साल पुरानी है यह थेरेपी, स्किन से लेकर मसल्स के लिए है कारगर, दर्द हो जाता है छूमंतर

Hijama Therapy: वाराणसी। शहर के जाने माने हिजामा थेरेपिस्ट डा. ए. बशर हिजामा थेरेपी के बारे में जानकारी देते हुये बताया कि हिजामा कपिंग थेरेपी के कई फायदे देखे गए हैं। यह पेन रिलीफ मैनेजमेंट, ब्यूटी जिनमें हेयर-स्किन ब्यूटी, एंटी एजिंग, स्किन डिजीज, माइग्रेन, ज्वाइंट पेन, कमर दर्द, स्लिप डिस्क, सर्वाइकल पेन तमाम बीमारियों के लिए यह थेरेपी कारगर है ।

आज हमारे पास इलाज की कई पद्धतियां मौजूद हैं, लेकिन एक चिकित्सा पद्धति ऐसी भी है, जो करीब 6000 साल पुरानी है। इसे हिजामा कपिंग थेरेपी कहा जाता है। इसे स्पोर्ट्स मैन पेन रिलीफ मैनेजमेंट में उपयोगी मानते हैं। महारानी क्लियोपेट्रा अपनी स्किन के लिए इसका उपयोग करती थी, वहीं चीन में भी इसका हजारों सालों से उपयोग होता आ रहा है।

हिजामा कपिंग थेरेपी एक्सपर्ट डा. ए. बशर ने जानकारी देते हुए कहा कि जैसे आज कल महिलाएं कई तरह के ब्यूटी ट्रीटमेंट लेती हैं। वैसे ही क्वीन क्लियोपेट्रा ग्लोइंग स्किन पाने के लिए इस थेरेपी का सहारा लेती थी। उन्होंने बताया वैसे तो यह थैरेपी चीन की मानी जाती है।

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लेकिन भारत में पुराने वक्त में गांव और देहात के इलाके में खोखले सींग के जरिये इस थेरेपी से ब्लड डिटाक्स, बाॅडी डिटाक्स किया जाता था। उन्होंने बताया कि इस पर कई रिसर्च भी की गई। जिनमें पाया गया कि जिन लोगों की पीठ से कंपिंग के जरिये खून निकाला गया उसका सैंपल हाथ (नस) से निकाले गए ब्लड सैम्पल से अलग था।

कपिंग से निकले ब्लड में क्रिएटिनिन, यूरिया, शुगर लेवल और कोलेस्ट्राल लेवल ज्यादा पाया गया। जिसका मतलब है कि यह थेरेपी हमारे शरीर  से टाक्सिन्स को बाहर करती है। टाक्सिन्स बाहर निकलने से इंसान बहुत सारी बीमारियों से बच सकता है।

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