Kashi Vishwanath Dham: सावन में करना है काशी विश्वनाथ का दर्शन, तो जान ले ये जरूरी बात
Kashi Vishwanath Dham: देवाधिदेव महादेव के प्रिय मास सावन में अगर आप शिव की नगर काशी आने की योजना बना रहे हैं तो यह खबर आपके काम की है। काशी विश्वनाथ धाम आने वाले शिवभक्तों का स्वागत रेड कारपेट पर होगा। मंदिर के सभी प्रवेश द्वार पर भक्तों की अगवानी पुष्पवर्षा से होगी। दुनियाभर में बसे शिवभक्तों के सावन में काशी पहुंचने की उम्मीद है। इसलिए मंदिर प्रशासन की ओर से श्रद्धालुओं की अगवानी के लिए धाम परिसर को सजाया जा रहा है।
धाम परिसर में धूप और बारिश से बचाव के लिए पहले ही जर्मन हैंगर लगाया गया है। इसके साथ ही जगह-जगह पीने के पानी, बैठने आदि की व्यवस्था को और दुरुस्त किया जा रहा है। सावन में शिव की नगरी काशी का वैभव देश ही नहीं दुनिया भी देखेगी। धाम के निर्माण के बाद लगातार दूसरे साल सावन में भक्तों का नया कीर्तिमान बनेगा।
सावन का महीना दो माह का होने के कारण श्रद्धालुओं को आठ सोमवार जलाभिषेक के लिए मिलेंगे। वहीं पहली बार भगवान शिव के आठ स्वरूपों के दर्शन भी होंगे। चार जुलाई से 31 अगस्त तक शिव की नगरी में बोल बम का जयघोष गूंजता रहेगा। सावन में काशीपुराधिपति के स्पर्श दर्शन पर पूरी तरह रोक रहेगी। श्रद्धालुओं को बाबा झांकी दर्शन देंगे और बाहर लगे पात्र से उनका अभिषेक किया जा सकेगा।
सावन के सोमवार को काशी विश्वनाथ मंदिर में मंगला आरती के टिकट ही मिलेंगे। सुगम दर्शन पर पूरी तरह से रोक रहेगी। इसके टिकट भी नहीं मिलेंगे। यह निर्णय पुलिस आयुक्त मुथा अशोक जैन और मंडलायुक्त कौशल राज शर्मा की अध्यक्षता में हुई बैठक में लिया गया था।
अधिमास के चलते 60 दिन चलने वाले सावन मास में काशी आने वाले वीआईपी व्यक्तियों को भी दोपहर तीन से पांच बजे तक दर्शन की सुविधा दी जाएगी। इसलिए प्रशासन संभावित वीआईपी को पत्र लिखेगा और निर्धारित अवधि में ही दर्शन पूजन के लिए आमंत्रित करेगा।
श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में सावन के आठ सोमवार पर भगवान के विविध स्वरूपों के दर्शन आम श्रद्धालुओं को होंगे। यह पहला मौका होगा जब भगवान शिव के आठ स्वरूपों के शिवभक्त दर्शन करेंगे। 10 जुलाई को पहले सोमवार पर बाबा विश्वनाथ की चल प्रतिमा का श्रृंगार होगा।
पूर्व महंत के आवास से लाकर गर्भगृह में बाबा की चल प्रतिमा को विराजमान कराया जाएगा। दूसरे सोमवार पर राजराजेश्वर का गौरी शंकर स्वरूप में श्रृंगार होगा। वहीं तीसरे सोमवार को अमृत वर्षा श्रृंगार और चौथे सोमवार को बाबा विश्वनाथ का भागीरथी श्रृंगार होगा।
इसी तरह एक अगस्त को पूर्णिमा श्रृंगार कराया जाएगा। पांचवें सोमवार को तपस्यारत पार्वती श्रृंगार, छठवें सोमवार को शंकर पार्वती और गणेश श्रृंगार के दर्शन भक्तों को होंगे। सातवें सोमवार को अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में भगवान शिव गर्भगृह में विराजमान होंगे। अंतिम व आठवें सोमवार को बाबा विश्वनाथ का रुद्राक्ष श्रृंगार कराया जाएगा। 31 अगस्त को काशीपुराधिपति को काशी की जनता झूला झुलाएगी और बाबा का झूला श्रृंगार होगा।
चार जुलाई से शुरू होने वाले सावन मास में काशी विश्वनाथ धाम में श्रद्धालुओं की सुविधा-सुरक्षा, प्रवेश-निकास आदि पर विशेष नजर रखने की रणनीति बनाई गई है। हर वर्ष की तरह ही गोदौलिया, मैदागिन, दशाश्वमेध व गंगा घाट से आने वाले सभी श्रद्धालुओं के लिए आने-जाने का मार्ग तय कर दिया गया है। जो जिस मार्ग से प्रवेश करेगा, दर्शन के बाद उसी मार्ग से निकलेगा। साउंड सिस्टम से लैस सुविधा केंद्र और सहायता केंद्र बनाए जाएंगे। अन्य शिव मंदिरों में भी सुरक्षा व्यवस्था का पुख्ता इंतजाम किया है।
सावन में भक्त भगवान शिव के आंगन में शिव महापुराण की कथा भी सुनेंगे। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर न्यास की ओर से पहली बार इसका आयोजन होगा। न्यास अध्यक्ष प्रो. नागेंद्र पांडेय ने बताया कि श्री काशी विश्वनाथ धाम में पहली बार शिव महापुराण कथा का वाचन कराया जाएगा। चार जुलाई से इसकी शुरुआत होगी जो 31 अगस्त तक चलेगी। कथा वाचक आचार्य ब्रज वल्लभ शास्त्री हर दिन दो घंटे तक शिव महापुराण का पारायण करेंगे।
बुजुर्ग, महिलाओं और दिव्यांगों को धाम तक पहुंचाने के लिए 10 ई-रिक्शे लगाए जा रहे हैं। गोदौलिया, गिरिजाघर, दशाश्वमेध, चौक और मैदागिन पर पार्किंग की व्यवस्था होगी। सभी प्रवेश द्वार पर लाउडस्पीकर के जरिये भीड़ नियंत्रित की जाएगी।
पिनाक भवन में बने कंट्रोल रूम से हर गतिविधि की निगरानी की जाएगी। श्रद्धालुओं की सहूलियत का ख्याल रखा जाएगा। सभी प्रवेश और निकास द्वार पर खोया-पाया का काउंटर बनेगा। इसके लिए लगातार सूचना प्रसारित की जाएगी।
सावन में काशी विश्वनाथ मंदिर और श्रद्धालुओं की सुरक्षा पुख्ता रहेगी। इसके लिए गोदौलिया से मैदागिन तक का क्षेत्र पांच जोन और 12 सेक्टर में बांटा गया है। प्रत्येक रविवार की रात से सोमवार की रात तक बाबा विश्वनाथ के दर पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था आतंकवाद निरोधक दस्ते (एटीएस) के 25 कमांडो संभालेंगे। इसमें सिगरा स्थित सिटी कमांड कंट्रोल सेंटर से कनेक्ट कैमरों और विश्वनाथ मंदिर व उसके आसपास के क्षेत्र में लगे सीसी कैमरों की मदद ली जाएगी।
गंगा में श्रद्धालुओं की सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर जल पुलिस और एनडीआरएफ के अलावा पीएसी के बाढ़ राहत दल की दो कंपनी के जवान तैनात होंगे। गोदौलिया से मैदागिन क्षेत्र में बम निरोधक दस्ता, डॉग स्क्वॉड और दमकल कर्मियों के अलावा स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) के कर्मचारी माहौल पर नजर रखेंगे।
सावन में काशी विश्वनाथ धाम आने वाले श्रद्धालुओं को जरूरत पड़ने पर चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराई जाएगी। इसके लिए मंदिर चौक पर अस्थायी अस्पताल बनाने का निर्णय लिया गया है। सीएमओ डॉ. संदीप चौधरी ने बताया कि तीन शिफ्ट में डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ काम करेगा। जरूरी दवाइयां मिलेंगी और प्राथमिक जांच भी हो सकेगी। हर सोमवार को धाम परिसर में चार अलग-अलग स्थानों पर डॉक्टरों की टीम भी मौजूद रहेगी। मंदिर परिसर के बाहर 24 घंटे एंबुलेंस मिल जाएगी।
धाम में आने वाले श्रद्धालुओं को गंगा द्वार से आने के लिए प्रेरित किया जाएगा। इसके लिए दशाश्वमेध घाट से मंदिर घाट को जोड़ने वाले मार्ग को दुरुस्त कराया जा रहा है। नाव से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए भी वहां चढ़ने और उतरने की व्यवस्था कराई जा रही है।
कांवड़ यात्रा के दौरान शासन के दिशा निर्देश पर 12 फीट से लंबी कांवर की अनुमति नहीं दी जाएगी। श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में भी प्लास्टिक फ्री कांवड़ वालों को ही प्रवेश दिया जाएगा। कांवरियों के लिए धाम क्षेत्र में अलग से कतार लगाई जाएगी जिससे कि उन्हें जलाभिषेक करने में परेशानी ना हो। स्टील की बैरिकेडिंग के साथ ही मंदिर परिसर में अलग-अलग काउंटर भी बनाए जाएंगे।
सावन में कांवर यात्रा के दौरान कांवरियों की सुविधा के लिए मंदिर प्रशासन की ओर से कई व्यवस्थाएं की जा रही हैं। मंदिर के रास्तों और शिविरों की जानकारी के लिए शहर भर में बार कोड लगाए जाएंगे।
बार कोड स्कैन करते ही शहर भर में कांवड़ शिविर और श्री काशी विश्वनाथ धाम आने वाले रास्तों और सुविधा की सारी जानकारी ऑनलाइन मिल जाएगी। क्यूआर कोड से कांवड़ शिविर, मेडिकल सुविधा, पुलिस सहायता, मंदिर जाने का रास्ता, कैंट स्टेशन व रोडवेज से मंदिर मार्ग की जानकारी मिलेगी।