MP Khargone Bus Accident: "मुझे भी मरा समझ लिया, चार लाशें थी मेरे ऊपर"
MP Khargone Bus Accident: खरगोन के समीप दसंगा ब्रिज से नीचे गिरी बस में 25 लोगों की मौतें हो गई। 20 से ज्यादा लोग जिंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। कुछ खुशकिस्मत भी हैं जिन्हें ज्यादा चोटें नहीं आईं। घायल इस हादसे को जीवनभर नहीं भूल सकते।
घायलों ने बातचीत के दौरान हादसे के बाद बस के भीतर के हालात बताए, जो दिल दहलाने वाले थे। बस के भीतर खून बिखरा पड़ा था। दर्द से लोग चीख रहे थे, कुछ लोगों की सांसें थम चुकी थीं। खरगोन के जिला अस्पताल में भर्ती घायल युवक मोहम्मद हनीफ खान ने हादसे का आंखो देखा हाल बताया।
हनीफ खान ने बताया कि वह बस के बोनट के पास ही बैठा था। बस में सारी सीटें भर गई थीं और दस-पंद्रह यात्री बस में खड़े थे। ड्राइवर ने बस की रफ्तार तेज कर रखी थी। पुल के पास बस नहीं संभली। जैसे ही बस रैलिंग को तोड़ते हुए नदी में गिरने लगी तो मैंने आंखें बंद कर ली, लगा अब नहीं बच पाऊंगा, बस पलटकर नदी में गिरी।
नदी सूखी थी और चट्टानों से बस टकरा गई। बस का दरवाजा भी नहीं खुल रहा था। आसपास के ग्रामीण मदद के लिए आए। उन्होंने खिड़की के शीशे तोड़कर घायलों को निकाला। मैं बोनट के पास था। इस वजह से बस के गिरते समय लोग आगे की तरफ गिरे। मैंने दरवाजे को पकड़ लिया था।
इस वजह से चट्टान से टकराने से बच गया। जो लोग आगे की तरफ गिरे, उनके चेहरे और सिर में कांच घुस गए और पत्थरों की चोट सीधे सिर पर लगी। मेरे ऊपर खून से लथपथ चार लोग गिरे। चारों मर चुके थे। मेरे एक हाथ की हड्डी टूट गई थी। मैं उन्हें अपने ऊपर से हटा भी नहीं पा रहा था।
जब बस में शीशा तोड़कर एक ग्रामीण युवक घायलों को निकालने के लिए आया तो मैंने पैर हिलाया। चिल्लाकर कहा कि मैं जिंदा हूं। मुझे बचाओ। तब उसने ऊपर से चार लाशों को हटाकर निकाला। हादसे के आधे घंटे बाद मुझे बस से निकाल कर अस्पताल पहुंचाया गया।