Rangbhari Ekadashi: काशी विश्वनाथ धाम में रंगभरी एकादशी का अद्भुत नजारा

Rangbhari Ekadashi: जगह-जगह से उठते विरोध के स्वरों के बीच प्रशासन को अंतत: झुकना पड़ा। देर रात हुई बैठक के बाद प्रात: काल आठ बजे ही पूर्व महंत आवास से मां गौरा की गौना की पालकी धूमधाम से ढोल नगाड़ों, डमरूवादन व शखध्वनि के बीच पूजन-अर्चन के बाद निकली और मंदिर परिसर पहुंची।
इसमें उल्लासपूर्वक सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया और मां गौरा तथा महादेव के चरणों में तिलक लगाकर होली खेलने की अनुमति ली। इसके बाद पूरी काशी होलियाना वातावरण में डूब गई। मंदिर परिसर में वहां दोपहर बाद सभी लोकाचारों के बाद पालकी को गर्भगृह में ले जाकर विग्रहों को स्थापित किया जाएगा। पूजन-अर्चन के पश्चात विग्रह वापस पूर्व महंत आवास ले जाए जाएंगे।
पूर्व महंत डॉ. कुलपति तिवारी के आवास से रंगभरी एकादशी पर मां गौरा व बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमाओं की शोभायात्रा बाबा के गौना की बरात के रूप में निकाले जाने की 300 वर्ष प्राचीन परंपरा रही है। पूर्व महंत के निधन के पश्चात पारिवारिक विवाद में दावों-प्रतिदावों को देखते हुए मंदिर प्रशासन ने किसी बाहरी विग्रह की शोभायात्रा मंदिर परिसर में लाने पर रोक लगा दी।
इधर, पूर्व महंत आवास पर सभी तैयारियां व लोकाचार पूर्ववत चलते रहे। मंदिर परिसर में एक नए विग्रह के साथ समानांतर लोकाचार आरंभ हुए। पूर्व महंत परिवार को शोभायात्रा जैसा कोई भी आयोजन न करने की चेतावनी देते हुए प्रशासन ने नोटिस जारी कर दी।
इसे परंपरा का भंग होना मान जगह-जगह से विरोध के स्वर उठने लगे। प्रदेश कांग्रेस अजय राव व सपा नेताओं ने इसे काशी की परंपराओं कके विरुद्ध मानते हुए विरोध करने की हुंकार भरी।
दबाव में आए प्रशासन ने आधी रात के बाद बैठक कर पूर्व महंत आवास से आने वाले विग्रह से ही आगे के लोकाचार निभाने का निर्णय लिया, लेकिन दोपहर बाद निकलने वाली शोभायात्रा को अति प्रात: ही पूर्व महंत आवास से निकलवा लिया गया। जयकारों के साथ भक्त मंदिर पहुंचे। इधर प्रतिमाओं को ढक कर ले जाने को कांग्रेस अध्यक्ष ने काशी की भावनाओं का अपमान बताया।