River Ganga In Varanasi: भीषण गर्मी के चलते वाराणसी में गंगा पहुंची सूखने की कगार पर, दिख रहे है रेत के टीले
River Ganga In Varanasi: प्रचंड गर्मी के बीच जहां आम जनता बेहाल दिखाई दे रही है, वहीं काशी के गंगा नदी के बीचो-बीच उभरते बालू के रेत ने अब लोगों को एक और परेशानी में डाल दिया है। शहर की पहचान गंगा नदी के बीच में उभरती रेत को लेकर लोगों की तरफ से इस बात की भी चर्चा की जा रही है कि विशाल नदी के बीच ऐसे परत घटते जलस्तर का सूचक हैं और आने वाले समय में इसके और भी गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्राउंडवाटर के इस्तेमाल करने की बजाय अब स्टोर हुए वाटर को अपने दैनिक उपयोग में लाना चाहिए। जून के महीने में गंगा के बीचो-बीच बालू के रेत उभर आए हैं। इसका प्रमुख वजह है कि उत्तराखंड की नदी की मुख्य धारा में बनाए गए बांध से उत्तर प्रदेश की तरफ आने वाला पानी प्रभावित हुआ है।
इसके अलावा राजधानी दिल्ली की तरफ अधिक मात्रा में उत्तराखंड से पानी पहुंचाया जा रहा है। पानी का अधिक से अधिक दोहन हो रहा है, जिसके कारण गंगा का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है और इसके खिलाफ हमारे पास कोई कानून नहीं है।
गंगा के जलस्तर नीचे जाने की वजह से न केवल नदी के बीच धारा में रेत देखा जा रहा है बल्कि उसकी शुद्धता भी सीधे तौर पर प्रभावित होगी, क्योंकि नदी में कम पानी होने की वजह से प्रदूषण आसानी से बढ़ सकता है।
वैज्ञानिक ने जल संकट को लेकर चिंता जाहिर की और बचाव के बारे में बताते हुए कहा कि रेन वाटर हार्वेस्टिंग और ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग जैसे साइंटिफिक तकनीक को लेकर लोगों को जल संरक्षण के प्रति जागरूक करना चाहिए। इसे हर क्षेत्र में अनिवार्य कर देना चाहिए।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग और ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग के माध्यम से गंगा और प्रमुख नदियों में पानी की मात्रा बढ़ेगी। आज के दौर में धड़ल्ले से लोग अपने दैनिक कार्यों के लिए ग्राउंडवाटर का इस्तेमाल करते हैं।
जबकि अधिक से अधिक इस्तेमाल स्टोर वाटर का करना चाहिए। हमें इस बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए की बारिश के पानी को किस प्रकार से स्टोर करना है। पानी का सबसे बड़ा स्रोत बारिश ही है और इसे रोकना अति आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्र के साथ-साथ शहरी क्षेत्र में भी लोगों को जल संकट के प्रति गंभीरता से विचार करना आवश्यक है।