UP Nikay Chunav 2023 : माफिया अतीक के गढ़ में सपा को झटका, वोटरों का रुझान दिखा कांग्रेस की ओर
UP Nikay Chunav 2023: नगर निगम का चुनाव भले ही स्थानीय मुद्दों पर लड़ा गया हो, लेकिन मुस्लिम मतदाताओं की पसंद में बदलाव के भी साफ संकेत दिखाई दिए। खासतौर पर माफिया अतीक अहमद के गढ़ वाले क्षेत्रों में मुस्लिम मतदाताओं का रुझान अप्रत्याशित तौर पर कांग्रेस की तरफ होता दिखाई दिया।
कांग्रेस को इनके मतों से कितनी संजीवनी मिल पाती है, यह तो 13 मई को मतगणना के बाद ही पता चल पाएगा। पहली बार इस वर्ग में सपा के प्रति नाराजगी भी दिखाई दी। कारण यह कि अतीक से लेकर आजम खां तक के मामलों में सपा ने सतही रवैया अपनाया।
एआईएमआईएम के प्रति भी मुस्लिम मतदाताओं का आकर्षण देखने के मिला।प्रयागराज नगर निगम में 15.69 लाख से अधिक मतदाता हैं। इनमें मुस्लिम मतदाताओं की संख्या करीब पौने तीन लाख है। विगत चुनावों के आधार पर मुस्लिमों को सपा का परंपरागत वोट बैंक माना जाता रहा है।
इसी गणित के आधार पर सपा ने 20 फीसदी मतों की हिस्सेदारी वाले कायस्थ समाज के अजय श्रीवास्तव को टिकट दिया था। उम्मीद थी कि सपा का परंपरागत यादव-मुस्लिम और पिछड़ा वोट के साथ कायस्थ समाज भी साथ आ गया तो चुनावी नैया पार हो जाएगी।
बसपा ने शाइस्ता को घोषित किया था प्रत्याशी - मुस्लिमों के बीच गोटियां बिछाने में बसपा भी पीछे नहीं रही। उमेश पाल हत्याकांड से पहले बसपा ने अतीक की पत्नी शाइस्ता को ही मेयर का प्रत्याशी घोषित किया था। हत्याकांड में नामजदगी के बाद सवाल उठे तो उनका टिकट काटना पड़ा। पार्टी से निकाला फिर भी नहीं।
पार्टी ने सईद अहमद को मेयर प्रत्याशी बनाकर दलित-मुस्लिम गठजोड़ से ही कुर्सी साधने की कोशिश की। हालांकि, आम आदमी पार्टी के मोहम्मद कादिर और एआईएमआईएम के मो. नकी खान ने कई जगह रोड़ा अटकाया। तीन मुस्लिम प्रत्याशियों के बीच सपा के सामने मुस्लिम मतों के बिखराव को रोकने की चुनौती थी।
तमाम सियासी दांव पेच के बीच खामोश मुस्लिम मतदाताओं का मतदान के दिन अलग ही रुख दिखाई दिया। इनका ठीक-ठाक हिस्सा कांग्रेस की ओर जाता दिखा। उनमें सपा के प्रति नाराजगी दिखी। बावजूद इसके 40 फीसदी मत सपा के ही खाते में जाने का अनुमान है।
मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में दिखा अतीक हत्याकांड का असर - मुस्लिम मतों का बंटवारा माफिया अतीक के गढ़ अटाला, करेली, चकिया, कसारी-मसारी, करेलाबाग, दरियाबाद, राजरूपपुर आदि क्षेत्रों में ज्यादा दिखाई दिया। मुस्लिम बहुल इन क्षेत्रों में करीब 90 हजार मतदाता हैं।
यहां अतीक की हत्या एक बड़े फैक्टर के रूप में दिखी। अतीक अहमद के घर के पास स्थित अलहमरा स्कूल पर बने मतदान केंद्र पर पूर्व की तुलना में इस बार सन्नाटा दिखा। रुझान का सवाल आते ही लोग चुप्पी साधते रहे। बहुत कुरेदने पर इतना संकेत जरूर दिया कि इस बार एक जगह वोट नहीं जा रहा।
एआईएमआईएम ने भी मुस्लिमों पर छोड़ी छाप - चकिया में ही कुछ दूरी पर चर्चा में मशगूल जावेद अख्तर ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के प्रति नाराजगी जताई। कहा, सपा ने अजय श्रीवास्तव को टिकट दिया, जबकि सभी जानते हैं कि ज्यादातर कायस्थ भाजपा को ही वोट देंगे।
यहीं रहने वाले फारुक अहमद का कहना था कि मुसलमानों के हितों से जुड़े कई मामलों में सपा ने चुप्पी साध ली। इन लोगों का कहना था कि मुसलमानों का वोट एक जगह नहीं गया। सपा और बसपा के अलावा कांग्रेस को भी वोट पड़े हैं। एआईएमआईएम की पतंग भी खूब उड़ी है। राजरूपपुर के वसीमुद्दीन का कहना था कि मुस्लिम भविष्य का नेता और राजनीति देख रहा है, इसलिए लोकसभा चुनाव के लिए बड़ा संदेश देना चाहता है।
मुसलमानों की नाराजगी नहीं भांप पाई सपा, बंटा वोट - मुुस्लिम मतदाताओं के रुख को सपा नेता भांपने में कामयाब नहीं रह पाए। मतदाताओं ने दबी-खुली जबान से जो कुछ कहा, उसका निचोड़ तो यही है। इन्हें लगता है कि माफिया अतीक अहमद की हत्या और उस पर हो रही कार्रवाइयों पर सपा ने कुछ भी खुलकर नहीं कहा। यही स्थिति आजम खां के मुद्दे पर भी रही। पार्टी के मुखर नहीं होने से उनके खिलाफ ताबड़तोड़ कार्रवाइयां हुईं।
अतीक के मोहल्ले चकिया में रहने वाले परवेज सिद्दीकी का कहना था कि अब सपा मुलायम सिंह यादव वाली पार्टी नहीं रह गई है। तारिक हसन ने तो यहां तक कहा कि विधानसभा में अखिलेश यादव ने ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अतीक के खिलाफ उकसाया। इसके बाद अतीक अहमद और उसके परिवार को निशाने पर लिया गया। अंततः अतीक को मिट्टी में मिला दिया गया।
इसी मोहल्ले के आजम और शाहआलम का सवाल था कि अतीक अहमद भले ही माफिया था, लेकिन आजम खां तो बड़े नेता हैं। जब उन्हें बकरी चोर बनाया गया तो सपा चुप्पी क्यों साधे रही। जेल भरो आंदोलन तक नहीं चलाया? यह भी दावा किया कि सपा जहां यादव समाज के प्रत्याशी को उतारती है, वहां मुस्लिमों का पूरा समर्थन मिलता है, लेकिन मुस्लिम प्रत्याशियों को यादव बिरादरी का साथ नहीं मिला।