Varanasi Crime News: चर्चित कांड के आरोपी की जमानत अर्जी को न्यायालय ने किया खारिज

 
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वादी की ओर से न्यायालय में वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक शंकर तिवारी, शादाब अहमद व अमित द्विवेदी ने पक्ष रखा

Varanasi Crime News: वाराणसी। जनपद के अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्रुतगामी प्रथम के द्वारा जनपद के लालपुर पाण्डेयपुर थाने में दर्ज मुअसं. 331/2024 धारा 191 (2), 333, 115 (2), 352, 352 (2), 76, 304 (2), 324 (2), 3 (5), 109 (1) बीएनएस से सम्बन्धित अभियुक्त अभिषेक यादव पुत्र रमेश यादव निवासी प्लाट नं. 250 चन्दन नगर कालोनी, करौंदी थाना चितईपुर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया।

वहीं न्यायालय में वादी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक शंकर तिवारी, शादाब अहमद व अमित द्विवेदी ने पक्ष रखा। वहीं अभियुक्त अभिषेक यादव के विद्वान अधिवक्ता द्वारा प्रथम जमानत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया जिसमें जमानत प्रार्थना पत्र के साथ रमेश यादव का शपथ पत्र दाखिल किया गया है।

जमानत प्रार्थना पत्र के माध्यम से अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता द्वारा कथन किया गया है कि उसका यह प्रथम जमानत प्रार्थना पत्र है इसके अलावा प्रार्थी ने माननीय न्यायालय अथवा माननीय उच्च न्यायालय में जमानत प्रार्थना पत्र न प्रस्तुत किया है न निर्णीत किया है और न ही विचाराधीन है।

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अभियुक्त की जमानत अवर न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया है। प्रार्थी घटना उपरोक्त में कहीं से भी शामिल या संलिप्त नहीं है। इसलिये प्रथम सूचना रिपोर्ट में नामित नहीं है। प्रार्थी का नाम दौरान विवेचना प्रकाश में लाकर अभियुक्त बनाया गया है।

अभियुक्त न तो वादिनी मुकदमा के घर में घुसा और न ही वादिनी के पति को लात घूसो से मारा गया और न ही वादिनी के बच्चों को मारा पीटा गया और न ही सोने की चेन व बीस हजार रूपये लूटा गया है। वादिनी के पति द्वारा मुकदमा उपरोक्त की अन्य सहअभियुक्ता रोशनी जायसवाल के विरूद्ध अभद्र व अपमानजनक टिप्पणी की गयी थी।

जिसके सम्बन्ध में सहअभियुक्ता द्वारा वादिनी मुकदमा के पति राजेश सिंह के विरूद्ध मुअसं. 332/2024 विभिन्न धाराओं में थाना लालपुर पाण्डेयपुर वाराणसी में दर्ज करवाया गया है। दौरान विवेचना मुकदमा की गंभीरता को बढ़ाने की गरज से धारा में बढ़ोत्तरी साजिशन किया गया है।

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जिसमें अभियुक्त को घर से पकड़कर थाने लाया गया और फर्जी गिरफ्तारी दिखाकर चालान कर दिया गया है। अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है। अतः उसे जमानत पर रिहा किये जाने की याचना की गयी है। वहीं अभियोजन पक्ष की तरफ से जमानत प्रार्थना पत्र का विरोध करते हुये कथन किया गया कि अपराध गंभीर प्रकृति का है।

अतः अभियुक्त का जमानत प्रार्थना पत्र खारिज किया जाये। वहीं न्यायालय के द्वारा विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी व अभियुक्त के विद्वान अधिवक्ता को सुना व पत्रावली का सम्यक अवलोकन किया गया।

वहीं वादी मुकदमा के विद्वान अधिवक्ता के द्वारा कहा गया कि अभियुक्त द्वारा सहअभियुक्त के साथ मिलकर वादिनी मुकदमा के पति को जान से मारने की नीयत से मार पीट किये जाने, जान से मारने की धमकी दिये जाने तथा वादिनी मुकदमा को निर्वस्त्र करने के आषय से आपराधिक बल का प्रयोग किये जाने का आक्षेप है।

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आक्षेपित अपराध गंभीर प्रकृति का है तथा महिला के खिलाफ एवं सामाजिक अपराध है। प्रस्तुत मामले में विवेचना प्रचलित है। मामले के तथ्यों एवं परिस्थितियों व अपराध की गंभीरता को दृष्टिगत रखते हुये अभियुक्त को जमानत पर छोड़े जाने का पर्याप्त आधार नहीं है।

गुण दोष पर कोई टिप्पणी किये बगैर अभियुक्त के द्वारा प्रस्तुत जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त किये जाने योग्य है। वहीं न्यायालय के द्वारा दोनो पक्षों की दलील को सुनने के बाद अभियुक्त अभिषेक यादव की ओर से प्रस्तुत उपरोक्त दोनो जमानत प्रार्थना पत्र को निरस्त किये जाने का आदेश पारित कर दिया गया।

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