Varanasi Crime: धोखाधड़ी के आरोपी को सत्र न्यायाधीश ने दी अग्रिम जमानत
Varanasi Crime: वाराणसी जनपद के सत्र न्यायाधीश के द्वारा एक अभियुक्त राजीव सरोज पुत्र राजेन्द्र प्रसाद सरोज निवासी नेवादा सुन्दरपुर थाना लंका की अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र को विभिन्न शर्तों के साथ स्वीकार कर लिया गया।
जिसमें अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मयंक मिश्रा के द्वारा मजबूती के साथ न्यायालय में अपना पक्ष रखा गया। वहीं अभियोजन कथानक इस प्रकार रहा कि वादी मुकदमा कौशल किशोर निवासी थाना कैण्ट वाराणसी को इस आशय का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया कि वह मोहल्ला छित्तूपुर चन्दुआ का निवासी है।
जहां आराजी सं. 1211 रकबा 0.898 हे. स्थित मौजा करसड़ा तहसील सदर वाराणसी के स्वामी बुधिराम व सिताबा देवी ने प्रार्थी के हक में तीन किता सट्टा इकरारनामा उपरोक्त आराजी में से विभिन्न तिथियों पर रकबा .67 डि. के बावत किया जिस पर काबिज दाखिल चला आ रहा है।
सट्टाशुदा जायदाद का बैनामा करने हेतु बुधिराम व सिताबा देवी से कई बार निवेदन किया, परन्तु वह बैनामा करने नहीं आये और इसी दौरान दिनांक 8.12.08 को सिताबा देवी की मृत्यु हो गयी। बुधिराम भी प्रार्थी से बैनामा करने हेतु अधिक कीमत की मांग करते रहे तथा किसी अन्य व्यक्ति के पक्ष में अधिक कीमत लेकर बैनामा करने का षड़यंत्र रचने लगे जिसके कारण प्रार्थी ने उपरोक्त सट्टे के आधार पर दीवानी न्यायालय में वाद सं. 1132/09 आदि प्रस्तुत किया।
जिसमें न्यायालय के द्वारा बुधिराम को उक्त आराजी किसी अन्य के हक में बैनामा करने से मना कर दिया गया। इसके बाद भी बुधिराम ने षड़यंत्र रचकर अन्य आराजी संख्या को मुन्ना लाल भारती के पक्ष में बैनामा कर दिया। दि. 23.01.2013 को दो पट्टे श्रीप्रकाश भारती व राजीव सरोज के हक में किया।
यह पट्टे उस स्थल के भी किये जो मुन्ना लाल भारत के हक में बुधिराम द्वारा किये गये फर्जी बैनामा के अन्तर्गत नहीं थे तथा पट्टाशुदा की जमीन की चैड़ाईयां वास्तविकता से भिन्न है। मुन्ना लाल भारती ने अवैध धन कमाने की गरज से प्रार्थी के सट्टेशुदा आराजी में उपरोक्त दोनो अन्य व्यक्तियों को साजिश में करके उनके हक में बिना अधिकार के झूठा व गलत पट्टा किया है।
इस प्रकार बुधिराम, मुन्ना लाल भारती, श्रीप्रकाश भारती एवं राजीव सरोज ने आपस में राय मशविरा करके शड़यंत्र के तहत प्रार्थी की सट्टाशुदा आराजी के सम्बन्ध में दिये गये रूपयों को हड़प् कर अवैध धन प्राप्त किये।
आगे कहा कि विपक्षियों ने कुछ अवांछनीय तत्वों के साथ जब प्रार्थी कचहरी से घर जा रहा था तो वरूणा पुल के पास प्रार्थी को मां बहन की गालियां देते हुये घेर लिये और कट्टा दिखाकर कहे कि मुकदमा उठा लो नही तो जान से मार देंगे।
वादी मुकदमा द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त आशय के प्रार्थना पत्र पर थाना कैण्ट में विपक्षियों के खिलाफ अपराध संख्या 522/2014 अन्तर्गत धारा 406, 420, 504, 506 तथा 120बी आईपीसी के अन्तर्गत पंजीकृत किया गया।
वहीं अभियुक्त की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मयंक मिश्रा के द्वारा तर्क प्रस्तुत किया गया कि आवेदक का यह प्रथम अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र है, इसके अलावा अन्य कोई भी अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र न तो माननीय उच्च न्यायालय और ना ही किसी सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है और न ही लम्बित है।
अभियुक्त के विरूद्ध उक्त अपराध में गलत व फर्जी तरीके से विवेचना कर आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल कर दिया है। जबकि अभियुक्त ने किसी प्रकार का कोई अपराध कारित नहीं। वादी मुकदमा द्वारा एक कपोल कल्पित कहानी बनाकर मात्र अपने कथनानुसार अभियुक्त को झूठे मुकदमें में फंसाने की गरज से यह मुकदमा पंजीकृत करा दिया है।
उक्त अपराध में लगायी गयी सभी धाराओं में सजा 7 वर्ष से कम है। इसलिये अभियुक्त माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा पारित विधि व्यवस्था सतेन्द्र कुमार अंटिल बनाम सीबीआई का लाभ पाने का अधिकारी है। अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है।
उक्त कथित घटना का कोई स्वतंत्र साक्षी नहीं है। अतः आवेदक को अग्रिम जमानत प्रदान की जाये। अभियोजन की ओर से विद्वान जिला शासकीय अधिवक्ता, फौजदारी द्वारा अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र का प्रबल विरोध करते हुये अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र निरस्त करने की याचना की गयी। उभय पक्षो के विद्वान अधिवक्ताओं के तर्कों को सुना तथा उपलब्ध प्रपत्रों का अवलोकन किया।
वहीं न्यायालय के द्वारा अभियुक्त राजीव सरोज द्वारा प्रस्तुत उपरोक्त अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुये कहा कि अभियुक्त द्वारा एक लाख रूपये का व्यक्तिगत बंध पत्र व इतनी ही धनराशि के दो प्रतिभूगण दाखिल करने पर सम्बन्धित न्यायालय की सांतुष्टि के अधीन दाखिल करने पर निम्न शर्तो कि अभियुक्त समान प्रकार के अपराध की पुनरावृत्ति नहीं करेगा, अभियुक्त विचारण में सहयोग करेगा तथा अनावश्यक स्थगन प्रस्तुत नहीं करेगा व अभियुक्त मामले से सम्बन्धित साक्षियों को आतंकित या प्रभावित नहीं करेगा पर अग्रिम जमानत प्रदान किया जाये।