महाश्मशान घाटों पर 23 महीने में भी नहीं हुआ पूरा कार्य, पड़ रहा असर

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वाराणसी जिले में मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर जुलाई 2023 में निर्माण कार्य शुरू हुआ था। हैरान करने वाली बात ये है कि इन घाटों पर छह महीने का काम 23 महीने में भी पूरा नहीं हो सका। 

वाराणसी। शहर के दो महाश्मशान घाटों पर दाह संस्कार को बेहतर करने का काम 6 महीने में पूरा होना था, लेकिन 23 महीने में भी ये कार्य पूरे नहीं हो सके। इसके चलते न केवल नगर निगम को राजस्व की क्षति हो रही है बल्कि आर्थिक रूप से कमजोर लोगों की जेब पर भी असर पड़ रहा है। कार्यदायी एजेंसी को मार्च 2025 तक कार्य को पूरा करके देना था।

मोक्ष की प्राप्ति के लिए मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर होने वाले दाह संस्कार के लिए विश्व भर से लोग आते हैं। पहले हरिश्चंद्र घाट पर पहले बिजली से बाद में गैस आधारित शवदाह संयंत्र लगाया गया था। जो बेहतर ढंग से काम भी कर रहा था। आर्थिक रूप से कमजोर लोग 500 रुपये की रसीद नगर निगम की ओर से रखे कर्मचारी के यहां कटवाते थे। प्रतिदिन निगम में 5 से 7 शवों को जलाने का पैसा आता था।

अब संयंत्र न होने के कारण वे लकड़ियों पर शवों का दाह संस्कार कराने को मजबूर हैं। इस पर कम से कम 8000 रुपये प्रति शव जलाने का खर्च आ रहा है। कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के तहत मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट पर काम चल रहा है। करोड़ों की लागत से घाटों के विकास के कई कार्य बाकी हैं। 

जुलाई 2023 में दोनों घाटों पर शुरू हुआ था काम – मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट के पुर्नविकास कार्य की शुरुआत जुलाई 2023 में हुई थी। इसके बाद इन घाटों को भव्य रूप देने के लिए काम शुरू हुआ था। गंगा में पानी बढ़ने लगा तो मणिकर्णिका घाट के लेआउट में बदलाव किया गया।

हरिश्चंद्र घाट पर दाह संस्कार के अलावा गंगा घाट पर पंजीकरण रूम, सामुदायिक वेटिंग हॉल, एक बड़ा हॉल, सामुदायिक शौचालय, रैंप, स्टोर रूम, फूड कोड, सर्विस एरिया और गंदगी और लकड़ी के लिए अलग सी व्यवस्था की गई। यह पूरा काम रूपा फाउंडेशन के सीएसआर फंड से किया जा रहा है।

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