फिट इंडिया और योग शिक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्वास्थ्य की भूमिका

लेखक परिचय: सारंग नाथ पांडेय (शारीरिक शिक्षा विभागाध्यक्ष, सनबीम स्कूल, वाराणसी)
भारत एक युवा देश है, जहाँ जनसंख्या का बड़ा हिस्सा 35 वर्ष से कम आयु का है। लेकिन चिंता का विषय यह है कि आज की भागदौड़ और तकनीक-प्रधान जीवनशैली ने युवाओं के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बुरी तरह प्रभावित किया है। इसी चुनौती को समझते हुए भारत सरकार ने वर्ष 2019 में ‘फिट इंडिया मूवमेंट’ की शुरुआत की और इसके बाद राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) में स्वास्थ्य, योग और फिटनेस को शिक्षा प्रणाली में केंद्र स्थान दिया गया। यह नीति स्वास्थ्य को शिक्षा के साथ जोड़ने की एक क्रांतिकारी पहल है।
फिट इंडिया आंदोलन : फिट इंडिया मूवमेंट की शुरुआत 29 अगस्त 2019 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई। इसका उद्देश्य था – लोगों में शारीरिक गतिविधियों, स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और फिटनेस को जीवनशैली का हिस्सा बनाना। इस अभियान के तहत स्कूलों, कॉलेजों, दफ्तरों और संस्थानों को फिटनेस प्रमोटर बनाया गया। “फिटनेस की डोज़, आधा घंटा रोज़” — इस नारे ने लाखों नागरिकों को प्रेरित किया।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्वास्थ्य का समावेश : NEP 2020 में शारीरिक शिक्षा और योग को एक वैकल्पिक गतिविधि के रूप में नहीं बल्कि एक अनिवार्य विषय के रूप में शामिल करने की बात कही गई है। यह एक ऐतिहासिक कदम है जो विद्यार्थियों को सिर्फ अकादमिक रूप से नहीं बल्कि शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक रूप से भी विकसित करने की दिशा में उठाया गया है।
नीति के प्रमुख बिंदु : ‘वन स्टूडेंट, वन स्पोर्ट’ नीति लागू करने का सुझाव। हर कक्षा में प्रतिदिन शारीरिक गतिविधियों, खेल या योग के लिए समय निर्धारित। जीवन कौशल (Life Skills) और मानसिक स्वास्थ्य को पाठ्यक्रम में शामिल करना। खेलों में समान अवसर और लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देना। हर स्कूल में योग, मार्शल आर्ट्स, तैराकी, एथलेटिक्स जैसी गतिविधियों की व्यवस्था।
योग भारत की हजारों वर्षों पुरानी अमूल्य विरासत है, जिसे अब वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता मिल रही है। अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (21 जून) की घोषणा संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2015 में की गई थी। अब इसे शिक्षा नीति में एक अहम स्थान मिलना भारत के लिए गौरव की बात है।
योग शिक्षा के लाभ : तनाव प्रबंधन और मानसिक संतुलन, शारीरिक लचीलापन और ऊर्जा, एकाग्रता और स्मरण शक्ति में वृद्धि, भावनात्मक बुद्धिमत्ता का विकास, विद्यालयों में फिटनेस के नवाचार और कार्यक्रम।
NEP के तहत सरकार ने कई योजनाएँ और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म शुरू किए हैं जो फिटनेस को प्रोत्साहित करते हैं: योजना / मंच उद्देश्य – फिट इंडिया स्कूल सर्टिफिकेशन स्कूलों में न्यूनतम फिटनेस मानकों को लागू करना, Khelo India Programme प्रतिभाशाली खिलाड़ियों की पहचान और प्रशिक्षण, School Health and Wellness Programme स्वास्थ्य शिक्षा, पोषण और जीवन कौशल का समावेश, योग ओलंपियाड और स्पोर्ट्स मीट्स छात्रों को योग और खेल प्रतियोगिताओं से जोड़ना, NEP के अनुसार एक आदर्श दिनचर्या (विद्यालय के लिए) सुबह की प्रार्थना से पहले 5 मिनट का माइंडफुल योगाभ्यास हफ्ते में 2 दिन खेल-कूद की विस्तृत कक्षा सप्ताह में एक दिन ‘फिटनेस डे’ जिसमें एरोबिक्स, दौड़, योग, डांस, वॉकिंग आदि हो। शिक्षकों की भी फिटनेस गतिविधियों में भागीदारी अनिवार्य हो। मिड-डे मील में पोषक अनाज जैसे मिलेट्स का उपयोग। फिटनेस और योग: मानसिक स्वास्थ्य का संबल।
कोविड-19 महामारी के बाद मानसिक स्वास्थ्य एक बड़ा सामाजिक मुद्दा बनकर उभरा है। NEP 2020 इस चुनौती को स्वीकार करती है और विद्यार्थियों के मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने के लिए योग, ध्यान, और काउंसलिंग जैसी व्यवस्थाएँ प्रस्तावित करती है।
एक अध्ययन के अनुसार, नियमित योग करने वाले छात्रों में तनाव 45% तक कम, और एकाग्रता 60% तक बढ़ी पाई गई ।
सरकारी पहल: पोषण, फिटनेस और जीवनशैली भारत सरकार ने फिटनेस और हेल्थ को लेकर कई स्तरों पर योजनाएँ शुरू की हैं: POSHAN अभियान – कुपोषण के खिलाफ देशव्यापी अभियान, Eat Right India – FSSAI द्वारा सुरक्षित और संतुलित आहार को प्रोत्साहन, Millet Mission (श्री अन्न अभियान) – रागी, बाजरा, ज्वार जैसे अनाज को बढ़ावा।
आयुष मंत्रालय द्वारा ‘योग से निरोग’ अभियान : भविष्य की दिशा: समग्र शिक्षा और स्वास्थ्य, NEP 2020 में शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं है। अब लक्ष्य है समग्र मानव निर्माण, जिसमें तन, मन और आत्मा तीनों का विकास हो। फिट इंडिया और योग शिक्षा इस दिशा में एक सशक्त माध्यम हैं। भारत का भविष्य तभी स्वस्थ होगा जब उसका विद्यार्थी वर्ग फिट, अनुशासित और मानसिक रूप से सशक्त होगा।
निष्कर्ष : फिट इंडिया आंदोलन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में योग और फिटनेस का समावेश सिर्फ शारीरिक गतिविधियाँ नहीं, बल्कि यह एक जीवनशैली परिवर्तन की प्रक्रिया है। इसका उद्देश्य एक ऐसी पीढ़ी तैयार करना है जो स्वस्थ, सशक्त और संतुलित हो शारीरिक, मानसिक और नैतिक रूप से। विद्यालयों, शिक्षकों और अभिभावकों को मिलकर इस अभियान को सफल बनाना होगा, तभी हम एक स्वस्थ भारत, सशक्त भारत का निर्माण कर पाएंगे।




