वाराणसी में नए रास्ते से निकला ताज़िया जुलूस, सालों पुराना विवाद सुलझा!

वाराणसी के चंद्रावती गांव में, जहां हर साल ताज़िया जुलूस के रास्ते को लेकर हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव देखने को मिलता था, इस साल एक अनोखी और शांतिपूर्ण पहल ने बरसों पुराने विवाद को खत्म कर दिया। पूरे 54 साल से चला आ रहा यह मसला आखिरकार प्रशासन और दोनों समुदायों के आपसी सहयोग से सुलझ गया, और इस बार ताज़िया जुलूस एक नए, सार्वजनिक रास्ते से होकर निकला।
विवाद की जड़ और प्रशासन की पहल
हर साल यह विवाद इसलिए गहराता था क्योंकि ताज़िया जुलूस ओमप्रकाश पांडेय की निजी ज़मीन और दीनानाथ जैन की चहारदीवारी से होकर गुज़रता था, जिससे दोनों पक्षों में तनाव बढ़ जाता था। इस बार, प्रशासन ने समय रहते इस स्थिति को भांप लिया और पहले से ही सतर्क हो गया। थानाध्यक्ष रविकांत मलिक के नेतृत्व में, पुलिस ने दोनों समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें कीं और एक स्थायी समाधान निकालने की दिशा में काम किया।
इन वार्ताओं का नतीजा यह रहा कि सर्वसम्मति से ताज़िया जुलूस का रास्ता बदलने का फैसला लिया गया। अब यह केवल सार्वजनिक और सरकारी रास्तों से होकर गुज़रेगा, जिससे किसी की निजी संपत्ति पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
आपसी सौहार्द की मिसाल
चंद्रावती गांव ने इस बार वाकई आपसी सौहार्द की एक मिसाल पेश की है। प्रशासन की पहल पर, हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों ने बेहद सकारात्मक और मिलनसार रवैया अपनाया। ताज़ियादारों ने भी जुलूस के रास्ते में बदलाव को खुशी-खुशी स्वीकार किया और भाईचारे का संदेश दिया।
इस मौके पर एसीपी सारनाथ विजय प्रताप सिंह, थानाध्यक्ष रविकांत मलिक, इंस्पेक्टर चंद्रकांता और अन्य उपनिरीक्षकों सहित भारी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा, ताकि शांति व्यवस्था बनी रहे।
चंद्रावती के अलावा, डुबकियां, बनकट, अजांव, कौवापुर और धौरहरा जैसे कई अन्य गांवों में भी ताज़ियों को कर्बला में दफन किया गया। थानाध्यक्ष रविकांत मलिक ने बताया कि पूरे थाना क्षेत्र में कुल 33 ताज़ियों का दफन बिना किसी बाधा के सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।
यह घटना दर्शाती है कि अगर सभी पक्ष सहयोग करें और प्रशासन सही दिशा में प्रयास करे, तो कितने भी पुराने और जटिल विवादों को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाया जा सकता है। चंद्रावती गांव की यह मिसाल यकीनन दूसरों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगी।




