वाराणसी : उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने ड्रग तस्करों के खिलाफ एक बड़ी कामयाबी हासिल की है। अंतरराज्यीय स्तर पर मादक पदार्थों की तस्करी करने वाले एक बड़े गिरोह के सरगना मुकेश मिश्रा को वाराणसी के मोहनसराय अंडरपास के पास से धर दबोचा गया है। यह गिरफ्तारी ड्रग्स के नेटवर्क पर एक बड़ी चोट मानी जा रही है।
कौन है मुकेश मिश्रा और क्या था उसका धंधा? – मुकेश मिश्रा, जो कि वाराणसी के नीलकंठ गली (चौक) का रहने वाला है, लंबे समय से पुलिस की रडार पर था। उस पर एनडीपीएस एक्ट के तहत सुल्तानपुर और वाराणसी में पहले से ही मामले दर्ज थे और वह फरार चल रहा था। STF को खुफिया जानकारी मिली थी कि मुकेश मिश्रा मनाली से मादक पदार्थों की तस्करी कर प्रयागराज होते हुए वाराणसी आ रहा है। सूचना मिलते ही STF टीम ने फौरन हरकत में आई और थाना रोहनिया पुलिस के साथ मिलकर एक संयुक्त अभियान चलाया। इसी दौरान उसे मोहनसराय अंडरपास के पास से गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के बाद मुकेश के पास से ₹21,870 नगद और 2 मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं।
मनाली से नेपाल तक फैला था नेटवर्क, डिलीवरी बॉय-गर्ल्स से सप्लाई – जांच में खुलासा हुआ कि मुकेश मिश्रा का ड्रग सिंडिकेट बहुत बड़े पैमाने पर काम कर रहा था। वह हिमाचल प्रदेश (मनाली), बिहार और नेपाल बॉर्डर से भारी मात्रा में स्मैक, हशीश और गांजा जैसे खतरनाक नशीले पदार्थ मंगवाता था। इन नशीले पदार्थों को फिर वाराणसी और आसपास के जिलों में छोटे-छोटे डिलीवरी बॉय और गर्ल्स के माध्यम से पहुंचाया जाता था। सोचिए, कैसे यह गिरोह युवाओं को नशे की गिरफ्त में धकेल रहा था।
पहले भी पकड़े गए हैं इस गैंग के गुर्गे – यह पहली बार नहीं है जब इस गैंग के सदस्य पकड़े गए हैं। मुकेश मिश्रा के साथ इस गिरोह में पहले से देवेंद्र मिश्रा और महेंद्र मिश्रा उर्फ छोटू जैसे अपराधी शामिल थे, जिन्हें STF ने मई 2025 में ही गिरफ्तार कर लिया था। इन दोनों पर गैंगस्टर एक्ट के तहत भी कार्रवाई की जा चुकी है। STF को पता चला है कि यह गैंग हिमाचल से नशीले पदार्थ खरीदता था और पेमेंट कैश या ऑनलाइन तरीके से ही होता था। नशीले पदार्थों की सप्लाई के लिए अक्सर बसों का इस्तेमाल किया जाता था। इस गिरोह ने रेलवे और रोड के ज़रिए देशभर में अपना तस्करी का नेटवर्क फैला रखा था। ग्राहकों से संपर्क साधने के लिए वे ऑनलाइन नंबर फीडिंग का इस्तेमाल करते थे। इस गिरोह के दो अन्य सदस्य, संतोष कुमार झा और शिखा वर्मा, को भी 28 जनवरी 2025 को गिरफ्तार कर सुल्तानपुर में केस दर्ज किया गया था।
मुकेश मिश्रा की गिरफ्तारी STF के लिए एक बड़ी सफलता है और इससे उम्मीद है कि ड्रग्स के इस पूरे नेटवर्क को तोड़ने में मदद मिलेगी। क्या आपको लगता है कि ऐसे ड्रग तस्करों पर और भी सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए?




