पुलिसकर्मियों पर जानलेवा हमले मामले में आरोपी को मिली जमानत

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अदालत में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हिमांचल सिंह व नीरज कुमार गोंड़ ने पक्ष रखा


वाराणसी। न्यायालय अपर सत्र न्यायाधीश/विशेष न्यायाधीश (आवश्यक वस्तु अधिनियम), के द्वारा थाना लोहता से सम्बन्धित मुअसं. 138/2025 धारा-3(5), 121(1), 324(4), 109(1), 132, 352 बीएनएस. के आरोपी बाबूलाल पटेल पुत्र स्व. सुखनन्दन पटेल निवासी ग्राम नकईपुर उंचगांव थाना लोहता वाराणसी को शर्तों के साथ जमानत पर रिहा करने का आदेश पारित किया है। वहीं न्यायालय में बचाव पक्ष की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हिमांचल सिंह व नीरज कुमार गोंड़ ने पक्ष रखा। अभियोजन कथानक इस प्रकार है कि दिनांक 29-05-2025 को वादी सूचनाकर्ता कां. रामप्रताप सिंह द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करायी गयी कि प्रार्थी पीआरवी 4965 के कर्मचारीगण कां. राम प्रताप सिंह, एचजी योगेन्द्र प्रसाद को एक सूचना नकई पुर गांव पर विवाद के सम्बन्ध में मिली। उक्त सूचना कालर अखिलेश कुमार पटेल के द्वारा निजी जमीन पर पट्टीदार बाबू लाल पटेल निवासी नकईपुर उचगावं द्वारा दिवाल बनाकर कब्जा करने के सम्बन्ध में दी गयी।

उक्त सूचना पर मुझ पीआरवी कर्मचारीगण द्वारा मौके पर पहुंच कर दोनो पक्षो को समझाया बुझाया गया, परन्तु बाबू लाल पटेल व उनके दोनों लडके सुरेश पटेल व बृजेश पटेल मानने को तैयार न थे और विवाद कर रहे थे। मुझ द्वारा पुलिस चैकी अकेलवा थाना लोहता के पैंथर के कर्मचारी को उक्त घटना के सम्बन्ध में सूचना दी गयी कि पैंथर 06 थाना लोहता के कर्मचारीगण हेका.ं हन्सराज पाल, कां. लक्ष्मीकान यादव मौके पर पहुंच कर बाबू लाल पटेल व उसके लड़के सुरेश पटेल व बृजेश पटेल को समझा बुझाया जा रहा था कि बाबू लाल पटेल मानने को तैयार न होकर और उत्तेजित होकर अपने दोनों बेटो से कहा कि मारो इन सालो पुलिसवालो को बच के न जाने पाये कि बाबू लाल पटेल व उसके दोनो लडके जान से मारने की नियत से ईंट उठाकर हम पुलिस वालो पर हमला कर दिये।

जिसमें हे.कां. हन्सराज पाल के ऊपर जान से मारने की नियत से ईट से वार किया। जिससे हेकां. हन्सराज पाल ने अपने सिर को बचाने के लिये हाथ लगाया जिससे उनकी हाथ में ईंट लग गया और हाथ में काफी गम्भीर चोटे आयी और पीआरवी चालक हो.गा. योगेन्द प्रसाद का वर्दी का कैंप व नेम प्लेट नोचते हुए वर्दी फाड दिये। उक्त तीनो व्यक्तियो ने सरकारी कार्य में बाधा उत्पन्न करते हुए उपरोक्त पैथर व पीआरवी के कर्मचारीगण से जान से मारने कि नियत से मारपीट व गाली गौलज किये। उपरोक्त घटित घटना के आधार पर अभियुक्त उपरोक्त व 2 अन्य अभियुक्त के विरुद्ध सुसंगत धाराओं में मुकदमा पंजीकृत किया गया।

वहीं अभियुक्त उपरोक्त की ओर से जमानत हेतु आधार लिया गया है कि प्रार्थी/अभियुक्त को गलत तथ्यों के आधार पर नामित किया गया है। यह प्रार्थी/अभियुक्त का प्रथम जमानत प्रार्थनापत्र है इसके अलावा अन्य कोई भी जमानत प्रार्थनापत्र न तो माननीय उच्च न्यायालय में और न ही अन्य न्यायालय में दाखिल किया गया है। प्रार्थी/अभियुक्त मेहनत मजदूरी करके अपने परिवार का जीविकोपार्जन करता है तथा कालर अखिलेश कुमार से पुरानी रंजिश के तहत गलत तथ्यों के आधार पर मुकदमा उपरोक्त में नामित कर निरूद्ध कर दिया गया है। प्रथम सूचना रिपोर्ट विलंब से दर्ज करायी गयी है जिसका कोई स्पष्टीकरण वादी द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट में नहीं दिया गया है। कालर अखिलेश कुमार द्वारा किस नंबर से किस स्थान की जमीन अभियुक्त द्वारा दीवाल बनाकर कब्जा करने के सम्बन्ध में सूचना दी गयी व कथित घटना कितने बजे घटित हुयी है इसका कोई उल्लेख प्रथम सूचना रिपोर्ट में नहीं किया गया है।

प्रार्थी के उपर आरोपित किसी भी धारा का अपराध कारित नहीं किया गया है। कथित घटना में हे. कां. हन्सराज के हाथ में आयी चोट प्राणघातक नहीं है। घटना का कोई स्वतंत्र जनसाक्षी नहीं है। प्रार्थी/अभियुक्त बिल्कुल निर्दोष है। प्रार्थी/अभियुक्त के पास चल-अचल सम्पत्ति है तथा उसके पलायित होने की कोई संभावना नहीं है। अतः प्रार्थना है कि प्रार्थी/अभियुक्त को उचित जमानत व मुचलके पर रिहा किया जाए। वहीं अभियोजन की ओर से विद्वान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता द्वारा जमानत प्रार्थनापत्र का घोर विरोध करते हुए कहा गया है कि आवेदक/अभियुक्त आपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति है। जमानत पाए जाने पर जमानत की शर्तों का उल्लंघन करेगा, साक्ष्य को प्रभावित करेगा, गवाहों को डराएगा व धमकाएगा तथा पलायन करने की प्रबल संभावना है अतः जमानत प्रार्थनापत्र निरस्त किये जाने की याचना की गयी है।

वहीं न्यायालय के द्वारा उभयपक्षों की ओर से किये गए तर्कों के परिप्रेक्ष्य में पत्रावली के परिशीलन करने के पश्चात न्यायालय के द्वारा कहा गया कि समस्त तथ्यों एवं परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुए प्रार्थी/अभियुक्त को जमानत पर छोडे जाने का आधार पर्याप्त है, तदनुसार जमानत प्रार्थनापत्र स्वीकार किये जाने योग्य है। प्रार्थी/अभियुक्त बाबूलाल पटेल की ओर से प्रस्तुत जमानत प्रार्थनापत्र स्वीकार किया जाता है तथा प्रार्थी/अभियुक्त उपरोक्त द्वारा मु० 50,000/-रुपये का व्यक्तिगत बंधपत्र व समान धनराशि का दो प्रतिभू संबंधित न्यायालय में दाखिल करने पर उसे निम्न शतों के अधीन जमानत पर रिहा किया जाए।

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