कार्यपालक मजिस्ट्रेट के साथ समीक्षा बैठक आयोजित

गोमती जोन के थानों पर झगड़ा-फसाद करने वाले 20- 20 लोगों की तैयार होगी हिटलिस्ट, पाबंद करा कर एक साल तक के लिए भेजा जाएगा जेल
वाराणसी। जनपद में पुलिस कमिश्नरेट व्यवस्था लागू होने के बाद सहायक पुलिस आयुक्तों को कार्यपालक मजिस्ट्रेट नियुक्त करते हुए कई निरोधात्मक कार्यवाहियों के अधिकार दिए गए हैं। जिसमें बुधवार को पुलिस उपायुक्त गोमती जोन आकाश पटेल द्वारा इसी संबंध में न्यायालय राजातालाब एवं पिंडरा के कार्यपालक मजिस्ट्रेटों (एसीपी पिंडरा, एसीपी राजातालाब एवं एसीपी रोहनिया) तथा गोमती जोन के समस्त थाना प्रभारियों के साथ न्यायालयीय कार्यों की एक महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक आयोजित की गई।
जिसमें यह पाया गया है कि गोमती जोन के अंतर्गत भूमि विवाद एवं पारिवारिक कलह जैसे मामलों में आए दिन झगड़े होते हैं। जिनमें सामान्य धाराओं में अभियोग पंजीकृत होते हैं और आरोपियों को जेल भेजना संभव नहीं होता। जिससे समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो पाता। इस कारण बाद में हत्या जैसी बड़ी घटना होने का अंदेशा बना रहता है। इन परिस्थितियों में पुलिस द्वारा बीएनएसएस की धारा 126 (पूर्ववर्ती 107/116) के अंतर्गत कार्यवाही की जाती है, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति को शांति भंग की आशंका पर एसीपी न्यायालय द्वारा अधिकतम एक वर्ष तक कारावास में भेजा जा सकता है।
हालांकि यह देखा गया है कि पुलिस की ओर से न्यायालय में प्रभावी पैरवी न होने के कारण अधिकांश मामलों में आरोपियों को अंतिम रूप से पाबंद नहीं कराया जा पाता, जिससे वे पुनः समाज में अशांति उत्पन्न करते हैं और कठोर कार्रवाई से बच निकलते हैं। इस समस्या के निराकरण हेतु सभी थानाध्यक्षों को डीसीपी द्वारा निर्देशित किया गया कि प्रत्येक थाने में ऐसे 20-20 व्यक्तियों को चिन्हित कर ‘हिट लिस्ट’ तैयार की जाए जो लगातार झगड़े-फसाद में संलिप्त रहते हैं।
संबंधित उपनिरीक्षक इन व्यक्तियों के विरुद्ध विस्तृत चलानी रिपोर्ट तैयार करेंगे, जिसमें पूर्व की घटनाएं, गवाह, दस्तावेजी साक्ष्य, मेडिकल रिपोर्ट एवं अन्य आवश्यक तथ्य संलग्न होंगे। तत्पश्चात स्वयं उपस्थित होकर न्यायालय में प्रभावी पैरवी करते हुए अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों को मजबूती से प्रस्तुत किया जाएगा, जिससे कार्यपालक मजिस्ट्रेट न्यायालय से अंतिम रूप से पाबंद कराना संभव हो सके।
पाबंद किए गए व्यक्तियों द्वारा यदि पुनः शांति भंग की जाती है, तो उनकी जमानत जब्त करते हुए न केवल इनको आर्थिक नुकसान होगा, बल्कि सीधे जेल भेजने की कार्यवाही को सरल एवं प्रभावी रूप से क्रियान्वित किया जा सकेगा। इसके अतिरिक्त यह भी पाया गया कि कई व्यक्ति कार्यपालक मजिस्ट्रेट न्यायालय से निर्गत नोटिसों के बावजूद न्यायालय में उपस्थित नहीं होते हैं।
ऐसे मामलों में संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध न्यायालय से वारंट निर्गत कराकर गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। 126 की कार्यवाहियों की प्रभावी निगरानी हेतु पुलिस उपायुक्त द्वारा एक नया रजिस्टर प्रारूप भी जारी किया गया है, जिसमें ‘हिट लिस्ट’ में सम्मिलित व्यक्तियों की कार्यवाही, निगरानी एवं अद्यतन प्रगति नियमित रूप से अंकित की जाएगी।
प्रत्येक थाना स्तर पर इस रजिस्टर की साप्ताहिक समीक्षा करते हुए कार्य की गुणवत्ता सुनिश्चित की जाएगी। उक्त आशय की जानकारी पुलिस उपायुक्त, गोमती जोन वाराणसी के कार्यालय से जारी किये गये प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी गयी।



