1.5 टन का AC लीक हो जाए तो कितनी गैस होगी रिफिल, कितना आएगा खर्च?

जैसे ही अप्रैल की शुरुआत होती है, देश के कई हिस्सों में तेज गर्मी अपना असर दिखाने लगती है। इस मौसम में जहां पंखा और कूलर थोड़ी राहत देते हैं, वहीं मई-जून की चिलचिलाती गर्मी में एयर कंडीशनर (AC) ही एकमात्र सहारा बन जाता है। हालांकि, गर्मी के इस सीजन में कई लोग शिकायत करते हैं कि उनके AC की ठंडक पहले जैसी नहीं रही।
गैस लीक यानी कम कूलिंग – एक्सपर्ट्स के मुताबिक, AC की कूलिंग कम होने की एक वजह गैस की कम मात्रा हो सकती है। यह समस्या विंडो और स्प्लिट दोनों ही प्रकार के AC में देखी जाती है। अगर AC में गैस की मात्रा कम हो जाए, तो वह कमरे को सही तरीके से ठंडा नहीं कर पाता।

AC में कौन सा गैस डलता है? – भारतीय बाजार में फिलहाल AC में तीन प्रकार की गैसों का उपयोग होता है। इसमें पहला नंबर R22 का है, दूसरे नंबर पर R410A गैस है, तो वहीं तीसरे नंबर पर R32 गैस है। बता दें कि भारत में ज्यादातर AC में R32 गैस का इस्तेमाल किया जाता है। इसके पीछ एक बड़ा कारण यह है कि R32 गैस बाकी की तुलना में ज्यादा एनर्जी एफिशिएंट है और साथ ही यह पर्यावरण के लिए भी अधिक सुरक्षित है।
1.5 टन AC में कितनी गैस की जरूरत? – अब सवाल ये है कि आखिर 1.5 टन के AC में कितनी गैस डालने की जरूरत पड़ती है? तो आपको बता दें कि 1.5 टन के स्प्लिट या विंडो AC में आमतौर पर 1.5 से 2 किलोग्राम गैस भरी जाती है। हालांकि, यह मात्रा AC के मॉडल और उसमें इस्तेमाल हो रही गैस के प्रकार पर निर्भर करती है।

गैस रिफिल कराने में कितना आता है खर्च? – अगर आपके AC की गैस लीक हो जाती है, तो दोबारा गैस भरवानी पड़ती है। तभी आपको AC से कूलिंग मिलेगी। 1.5 टन के स्प्लिट या विंडो AC में आपको गैस भरवाने में 2,000 से 3,000 रुपये तक का खर्च आ सकता है। यह चार्ज आपकी लोकेशन, टेक्नीशियन की फीस और गैस के प्रकार के आधार पर अलग-अलग हो सकता है।
बेहतर कूलिंग के लिए अपनाएं ये टिप्स – एक्सपर्ट्स के मुताबिक, गर्मी की शुरुआत से पहले AC की सर्विस करवा लेना चाहिए। इसके अलावा अगर आप AC का नियमित उपयोग करते हैं, तो हर 4-6 सप्ताह में फिल्टर की सफाई भी जरूरी है। गंदे फिल्टर की वजह से एयरफ्लो बाधित होता है, जिससे कंप्रेसर पर दबाव बढ़ता है और कूलिंग में कमी आ जाती है।