छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले में हथिनी के हमले से दहशत फैल गई है। लैलूंगा वन परिक्षेत्र में मंगलवार देर रात एक हथिनी ने गांव में घुसकर भारी उत्पात मचाया और तीन ग्रामीणों की जान ले ली। मृतकों में एक तीन साल का मासूम बच्चा, एक महिला और एक पुरुष शामिल हैं। इस घटना ने वन विभाग की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैसे हुआ यह भयानक हमला? – ग्रामीणों के अनुसार, हथिनी ने सबसे पहले एक कच्चे मकान को तोड़ दिया। इसके बाद उसने लोगों पर हमला करना शुरू कर दिया। अपनी जान बचाने के लिए ग्रामीण अपने घरों को छोड़कर सुरक्षित जगहों की ओर भागने लगे, लेकिन भागते हुए ही हथिनी ने तीन लोगों को अपनी सूंड से उठाकर पटक दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।
वन विभाग की लापरवाही का आरोप – स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि वन विभाग की ओर से उन्हें किसी तरह की चेतावनी नहीं दी गई थी। उनका कहना है कि अगर उन्हें पहले से हाथियों की मौजूदगी या खतरे की जानकारी दी जाती, तो गांव के लोग सतर्क हो सकते थे और शायद इन बेगुनाह जानें को बचाया जा सकता था। यह आरोप सीधे तौर पर वन विभाग की लापरवाही की ओर इशारा कर रहा है।
हाथियों का बढ़ता आतंक और प्रशासन की पोल – लैलूंगा वन परिक्षेत्र में पिछले कुछ महीनों से हाथियों का आतंक लगातार बना हुआ है। कई बार ग्रामीणों ने वन विभाग को इस बारे में सूचित भी किया है, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। अब एक बार फिर हथिनी की इस हिंसक गतिविधि ने प्रशासन की तैयारियों और ग्रामीणों की सुरक्षा के दावों की पोल खोल दी है।
इस घटना के बाद से पूरे इलाके में भय का माहौल है और ग्रामीण वन विभाग से हाथियों के इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं। क्या वन विभाग अब जागेगा और इन बेजुबान हाथियों और बेबस ग्रामीणों के बीच संघर्ष को खत्म करने के लिए कोई प्रभावी रणनीति बनाएगा?





