वाराणसी में बिजली की दरों को लेकर एक बड़ा खुलासा हुआ है। विद्युत नियामक आयोग की जनसुनवाई में आम जनता से लेकर बड़े-बड़े उद्यमियों तक ने बिजली विभाग के खिलाफ जमकर अपनी भड़ास निकाली। इस दौरान यह बात सामने आई कि एक तरफ तो विभाग अपना घाटा बता रहा है, लेकिन दूसरी तरफ सरकारी विभागों पर ही पिछले तीन सालों का 4489 करोड़ रुपये का बिजली बिल बाकी है।

कमिश्नरी सभागार में हुई इस सुनवाई में जब पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम ने अपने आंकड़े पेश किए, तो बवाल मच गया।

उपभोक्ताओं ने खोली पोल, अधिकारियों की लापरवाही उजागर जनसुनवाई में आए लोगों ने एक-एक करके अपनी समस्याएं बताईं। आम उपभोक्ताओं ने शिकायत की कि अधिकारी फोन नहीं उठाते, जिससे उनकी परेशानियां कभी खत्म नहीं होतीं। नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने भी इस बात को माना और कहा कि अगर अधिकारी सही से काम करते तो इतनी दिक्कतें नहीं आतीं।

स्मार्ट मीटर की समस्या: कई उपभोक्ताओं ने स्मार्ट मीटर के तेज चलने और गलत बिल आने की शिकायत की।

बुनकरों का दर्द: बुनकरों ने बताया कि अप्रैल 2006 से पावरलूम के लिए तय फिक्स रेट पर बिल नहीं लिया जा रहा है, जिससे उन्हें भारी नुकसान हो रहा है।

उद्यमियों का गुस्सा: रामनगर के एक उद्यमी जगदीश झुनझुनवाला ने तो यहाँ तक कह दिया कि बिजली विभाग की लापरवाही से परेशान होकर वे अपनी यूनिट बंद करके गुजरात में नई यूनिट लगाने की सोच रहे हैं।

सरकार पर है 4489 करोड़ का बकाया, फिर क्यों बढ़ेगा बोझ? इस जनसुनवाई का सबसे बड़ा मोड़ तब आया, जब राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने विभाग के सामने कुछ चौंकाने वाले आंकड़े रख दिए। उन्होंने बताया कि सरकारी विभागों पर 3 साल में 4489 करोड़ रुपये का बिजली बिल बकाया है। इतना ही नहीं, सरकार की तरफ से भी पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम को सब्सिडी के रूप में 8115 करोड़ रुपये देने हैं।

अवधेश वर्मा ने साफ-साफ कहा कि जब निगम पर इतना पैसा बकाया है, तो वह घाटे में कैसे हो सकता है? उन्होंने मांग की कि बिजली दरें 45% बढ़ाने की जगह, 45% कम की जानी चाहिए। साथ ही, उन्होंने बिजली विभाग के निजीकरण का भी कड़ा विरोध किया।

नियामक आयोग ने भी माना, विभाग का परफॉरमेंस खराब सभी पक्षों की बातें सुनने के बाद, विद्युत नियामक आयोग के अध्यक्ष अरविंद कुमार ने खुद माना कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम का प्रदर्शन बहुत खराब है। उन्होंने इस बात पर नाराजगी जताई कि सब कुछ होने के बावजूद भी ट्रांसफार्मर और तार जल रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है अधिकारी निगरानी नहीं करते, जो कि एक चिंताजनक स्थिति है।

इस जनसुनवाई से यह साफ हो गया है कि जनता बिजली विभाग की मनमानी से तंग आ चुकी है और अब वह अपनी आवाज खुलकर उठा रही है। देखने वाली बात यह होगी कि इन बड़े खुलासों और शिकायतों के बाद सरकार और विभाग क्या कदम उठाते हैं।

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