अन्नपूर्णा मंदिर: 511 क्विंटल मिष्ठान्न का महाभोग, काशी विश्वनाथ मंदिर में लड्डुओं का शिवालय बना आकर्षण का केंद्र, पहली बार: घरों के रसोई में बने भोग से सजा मणि मंदिर, अन्य देवालयों में भी रही रौनक
वाराणसी। आस्था और व्यंजनों का महापर्व अन्नकूट बुधवार को धर्म नगरी काशी के कण-कण में धूमधाम से मनाया गया। छोटे-बड़े सभी मंदिरों में जैसे पकवानों की बहार आ गई थी, लेकिन भक्तों के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर और अन्नपूर्णा मंदिर हमेशा की तरह मुख्य केंद्र रहे।
मां अन्नपूर्णा मंदिर में तो हर साल की तरह इस बार भी अद्भुत नज़ारा था। ऐसा लग रहा था जैसे मंदिर की हर दीवार, हर कोना लड्डुओं से ही बना है! देवी को 511 क्विंटल मिष्ठान्न का विशाल भोग लगाया गया, जो अपने आप में एक भव्य दृश्य था।

बुधवार को मां अन्नपूर्णा के स्वर्ण विग्रह के दर्शन के लिए अपार जनसैलाब उमड़ा। पूर्वाह्न करीब 11:30 बजे माता की भोग आरती हुई, जिसके बाद दोपहर 12 बजे से भक्तों को प्रसाद वितरण शुरू हुआ। शाम 5 बजे तक लोग पांत (लाइन) में बैठकर श्रद्धापूर्वक प्रसाद ग्रहण करते रहे। शहर के जाने-माने डॉक्टर, साहित्यकार, समाजसेवी और धर्माचार्य भी मां के दरबार में अपनी सेवा देने पहुंचे। अन्नपूर्णा मंदिर के अन्नक्षेत्र में तो दक्षिण भारतीय भक्तों की कतार सुबह 10 बजे से ही लगी हुई थी।
उधर, बाबा काशी विश्वनाथ मंदिर में भी अन्नकूट की दिव्य झांकी सजाई गई। यहाँ सबसे खास आकर्षण रहा लड्डुओं से बना शिवालय भक्तों के लिए यह नज़ारा बेहद अनूठा और मनमोहक था। मुख्य परिसर में प्रतिष्ठित देवी-देवताओं के कक्षों में भी अन्नकूट की मनभावन झांकी सजाई गई, जिसके दर्शन करने को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी।

इस पर्व पर एक अनूठी पहल भी देखने को मिली। दुर्गाकुंड परिसर स्थित मणि मंदिर में प्रतिष्ठित द्वादश ज्योतिर्लिंगों का अन्नकूट इस बार घरों की रसोई में बने भोग से सजाया गया। सैकड़ों परिवारों ने सूखा भोग बनाकर मंदिर में जमा किया था। शायद यह पहली बार है जब काशी के किसी देवालय में इतनी बड़ी संख्या में भक्तों के घरों में पके भोग को अर्पित किया गया। मणिमंदिर में 11 मन (करीब 440 किलोग्राम) लड्डुओं से बना एक और शिवालय भी आकर्षण का केंद्र रहा।

इन दोनों मंदिरों के अलावा, शहर के अन्य प्रमुख देवालयों में भी अन्नकूट महोत्सव की भव्य झांकी सजाई गई। लोहटिया स्थित बड़ा गणेश मंदिर, दुर्गाकुंड स्थित माता कूष्मांडा, मछोदरी स्थित स्वामी नारायण मंदिर, अक्षयवट हनुमान मंदिर, दशाश्वमेध स्थित शीतला माता मंदिर और कालिका गली स्थित कालरात्रि मंदिर सहित कई मंदिरों में भक्तों ने श्रद्धा से भाग लिया।
यह अन्नकूट पर्व एक बार फिर सिद्ध कर गया कि काशी केवल मोक्ष की नहीं, बल्कि स्नेह, सेवा और सामूहिक उल्लास की भी नगरी है।




