आज करवा चौथ का महापर्व देशभर में बड़े ही उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया गया। सुहागिनों ने अपने पति की लंबी आयु और वैवाहिक सुख-शांति की कामना करते हुए यह कठिन निर्जला व्रत रखा। दिनभर की पूजा-अर्चना और व्रत कथा सुनने के बाद, रात को चाँद का दीदार होते ही महिलाओं ने व्रत का पारण किया और अपने जीवनसाथी की खुशहाली के लिए भगवान से प्रार्थना की।

उत्सव और उल्लास से भरा दिन – सुबह से ही घरों में करवा चौथ के व्रत की तैयारियां शुरू हो गई थीं। महिलाओं ने पूरे रीति-रिवाज के साथ सोलह श्रृंगार किया और दुल्हन की तरह सज-धज कर पूजा की। कई जगह सामूहिक पूजन का आयोजन किया गया, जहाँ एक साथ मिलकर सभी ने कथा सुनी और पूजा की। बुजुर्ग महिलाओं से व्रत कथा सुनकर आशीर्वाद लिया गया। घर-घर में दोपहर से ही तरह-तरह के पकवान बनने की खुशबू आने लगी, जिसने त्योहार के माहौल को और भी खास बना दिया।
शाम होते ही, सभी सुहागिनें अपने सबसे खूबसूरत परिधानों शादी के जोड़े, नई साड़ी या लहंगा में तैयार होकर पूजा के लिए बैठ गईं। यह दृश्य सचमुच देखने लायक था, जहाँ हर महिला अपने पति के लिए पूरी आस्था से प्रार्थना कर रही थी।

चाँद का इंतजार और व्रत का पारण – सूर्यास्त के बाद, जैसे ही आसमान में अंधेरा छाने लगा, घरों की छतों पर एक अलग ही उत्सव का रंग छा गया। व्रत रखने वाली महिलाएं चाँद के उदय का बेसब्री से इंतजार कर रही थीं।
जैसे ही चंदा मामा ने अपना दीदार दिया, खुशी की एक लहर दौड़ गई। महिलाओं ने विधि-विधान से छलनी में दीपक जलाकर पहले चंद्रमा की पूजा की, उन्हें अर्घ्य दिया और फिर उसी छलनी से अपने पति का चेहरा देखा। इसके बाद, पति के हाथों से पानी पीकर और मिठाई खाकर व्रत खोलने की परंपरा निभाई गई।
यह पल पति-पत्नी के प्रेम और अटूट रिश्ते को दर्शाता है, जहाँ एक तरफ पत्नी अपने पति की लंबी उम्र के लिए दिनभर भूखी-प्यासी रहती है, वहीं पति भी प्यार से उसे अपने हाथों से पानी पिलाकर उसका व्रत तुड़वाता है। करवा चौथ का यह त्योहार केवल एक व्रत नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति में त्याग, प्रेम और समर्पण का प्रतीक है।






