सुप्रीम कोर्ट में अभूतपूर्व घटना, न्याय के मंदिर में मर्यादा भंग
सोनिया, राहुल, प्रियंका और अखिलेश ने जताया ‘संविधान पर हमला’ क़रार
बड़ा सवाल: कहाँ जा रहा है हमारा समाज?
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट परिसर में जो हुआ, वह महज़ एक घटना नहीं, बल्कि हमारे लोकतंत्र की गरिमा पर एक गहरा घाव है। न्याय के सबसे ऊंचे आसन पर बैठे भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) न्यायमूर्ति बी आर गवई पर एक 71 वर्षीय वकील द्वारा जूता उछालने की कोशिश की गई। यह दृश्य सोचने पर मजबूर करता है कि क्या हमारे समाज में विरोध जताने के लिए मर्यादा की हर सीमा टूट चुकी है?
घटना के आरोपी की पहचान राकेश किशोर (71), निवासी मयूर विहार, दिल्ली के रूप में हुई है। बताया जा रहा है कि वह अचानक मंच के पास पहुंचा और जजों की ओर जूता फेंकने का प्रयास किया, जिसे तुरंत अदालत के कर्मचारियों ने रोक लिया।

CJI का संयम: न्यायपालिका की महान परंपरा का प्रतीक – इस बेहद अपमानजनक और उत्तेजक क्षण में भी, CJI बी आर गवई ने जो संयम और मर्यादा दिखाई, वह सचमुच अविस्मरणीय है। उन्होंने कोई गुस्सा या नाराज़गी ज़ाहिर नहीं की, बल्कि वकीलों से शांति बनाए रखने और अपनी दलीलें जारी रखने को कहा। उनका यह व्यवहार दर्शाता है कि देश की न्यायपालिका अपने मूल्यों और गरिमा के प्रति कितनी अडिग है। इस संयम की प्रशंसा अदालत में मौजूद हर वकील ने की, जिन्होंने इसे न्यायपालिका की महान परंपरा का प्रतीक बताया।
विपक्ष का आक्रोश: ‘यह संविधान पर हमला है’ – इस शर्मनाक घटना पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं तुरंत और तीखी आईं। विपक्ष के नेताओं ने इसे न केवल न्यायपालिका पर, बल्कि देश के संविधान और लोकतंत्र की आत्मा पर हमला बताया है।
कांग्रेस की कड़ी निंदा – कांग्रेस संसदीय दल की प्रमुख सोनिया गांधी ने इस घटना को “संविधान पर हमला” बताते हुए कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि “राष्ट्र को एकजुट होकर उनके साथ खड़ा होना चाहिए।”
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे “शर्मनाक और घृणित” क़रार दिया। उन्होंने ट्वीट किया, “यह उस व्यक्ति को डराने की कोशिश है जिसने अपनी योग्यता और ईमानदारी से देश के सर्वोच्च न्यायिक पद तक पहुंच बनाई है।”
राहुल गांधी ने भी कहा कि CJI पर हमला “हमारी न्यायपालिका की गरिमा और संविधान की भावना पर हमला है। हमारे देश में इस तरह की घृणा के लिए कोई जगह नहीं है।”

प्रियंका गांधी वाड्रा ने घटना को “अत्यंत शर्मनाक और चिंताजनक” बताते हुए कहा कि यह “सिर्फ CJI पर नहीं, बल्कि हमारे संविधान, न्याय व्यवस्था और कानून के शासन पर हमला है।”
अखिलेश यादव की तीखी प्रतिक्रिया – समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने इस घटना पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे अहंकार और वर्चस्ववाद से ग्रसित लोगों का कृत्य बताया। उन्होंने कहा, “कुछ लोगों के हाथ में जाकर तो जूता भी अपमानित महसूस करता है।”
उन्होंने आगे कहा कि यह दौर ‘अपमान बनाम सम्मान’ के संघर्ष का है और ऐसी हताशापूर्ण हरकतें दर्शाती हैं कि “भाजपा की सत्ता अब अपने अंतिम दौर में है।”

बड़ा सवाल: कहाँ जा रहा है हमारा समाज? – यह घटना सिर्फ एक सुरक्षा चूक नहीं है, बल्कि यह दिखाती है कि असहमति और विरोध की आवाज़ कितनी अमर्यादित और हिंसक होती जा रही है। न्याय के सबसे बड़े मंदिर में ऐसी हरकत न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल खड़े करती है। उम्मीद की जाती है कि सुरक्षा एजेंसियां इस मामले की गहन जांच करेंगी ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ऐसी घृणित मानसिकता और कृत्य दोबारा न हों। हमें याद रखना होगा, संविधान की गरिमा बनाए रखना हर नागरिक का कर्तव्य है।




