मुरादाबाद : सोशल मीडिया पर फेक न्यूज़ और भ्रामक जानकारी फैलाकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश करने वाले लोगों पर पुलिस अब सख्त हो गई है। हाल ही में एक ऐसा ही मामला सामने आया है जहाँ पाकिस्तान के एक पुराने वीडियो को मुरादाबाद का बताकर वायरल किया गया और इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की गई। इस मामले में पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

क्या था पूरा मामला? पुलिस अधीक्षक (SSP) संजय कुमार वर्मा ने पुलिस लाइन में बताया कि एक विवादित वीडियो ‘ककरौली युवा एकता’ नाम के एक व्हाट्सएप ग्रुप के ज़रिए तेज़ी से फैलाया जा रहा था। इस वीडियो में एक घर के अंदर खून से लथपथ महिला और बच्चों की लाशें दिखाई जा रही थीं। वीडियो के साथ यह झूठा दावा किया जा रहा था कि यह मुरादाबाद के मंसूरपुर थारक नंगला का वीडियो है, और बजरंग दल के लोग मुस्लिम समुदाय के लोगों की हत्या कर रहे हैं। इस वीडियो में यह भी कहा जा रहा था कि इसी तरह कई और गाँवों में भी मुस्लिम लोगों को निशाना बनाया जा रहा है।

पुलिस की तत्परता से खुला झूठ का पुलिंदा – मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस ने तुरंत इसकी जाँच शुरू की। गहन छानबीन के बाद यह सामने आया कि वायरल हो रहा वीडियो दरअसल पाकिस्तान के मुजफ्फरगढ़ का एक पुराना वीडियो है, जिसका भारत या मुरादाबाद से कोई लेना-देना नहीं है। यह स्पष्ट था कि इस वीडियो का इस्तेमाल सिर्फ और सिर्फ लोगों में डर फैलाने और सांप्रदायिक माहौल को खराब करने के लिए किया जा रहा था।

तीन आरोपी गिरफ्तार, आगे भी होगी कड़ी कार्रवाई – जाँच के बाद पुलिस ने इस घिनौने कृत्य में शामिल तीन आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। ये तीनों आरोपी मुजफ्फरनगर के ककरौली गाँव के रहने वाले हैं, जिनकी पहचान नदीम, मनशेर और रहीस के रूप में हुई है। एसएसपी वर्मा ने साफ किया है कि ऐसे किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा जो सोशल मीडिया का दुरुपयोग कर समाज में नफरत फैलाने या माहौल बिगाड़ने की कोशिश करेगा।

यह घटना एक बार फिर इस बात पर ज़ोर देती है कि सोशल मीडिया पर आने वाली हर जानकारी पर आँख बंद करके भरोसा न करें। किसी भी वीडियो या मैसेज को आगे फॉरवर्ड करने से पहले उसकी सत्यता की जाँच ज़रूर करें। आपकी एक छोटी सी सावधानी समाज में बड़े फसाद को रोक सकती है।

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