पटना। बिहार पुलिस महानिदेशक (DGP) विनय कुमार ने मीडिया में पुलिस पदाधिकारियों के बयान देने को लेकर एक नई गाइडलाइन जारी की है। अब सिर्फ अधिकृत पुलिस पदाधिकारी ही प्रेस और मीडिया को जानकारी दे पाएंगे। इस संबंध में 24 घंटे के भीतर दो अलग-अलग आदेश जारी किए गए हैं, जिनसे कुछ भ्रम की स्थिति बनी, जिसे बाद में स्पष्ट किया गया।

पहले आदेश में क्या था? 22 जुलाई को जारी पहले आदेश में डीजीपी ने मीडिया को बयान देने की पूरी जिम्मेदारी सिर्फ पुलिस प्रवक्ता के रूप में नामित एडीजी मुख्यालय को दी थी। उन्हें भी केवल प्रेस नोट पढ़कर मीडिया को सुनाने का आदेश दिया गया था। इस आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि इसके अलावा कोई भी अन्य पुलिस पदाधिकारी या कर्मी मीडिया को कोई बयान (बाइट) नहीं देंगे। यह आदेश जैसे ही इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ और इसकी आलोचना होने लगी, तो पुलिस मुख्यालय हरकत में आया।

बाद में दी गई सफाई और नया स्पष्टीकरण आलोचना के बाद 23 जुलाई को पुलिस मुख्यालय ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर इस पर सफाई दी। इसमें कहा गया कि 22 जुलाई को प्रेस वार्ता के संबंध में जारी आदेश को सही ढंग से समझा नहीं जा रहा था। मुख्यालय ने स्पष्ट किया कि जिलों में पहले की तरह एसएसपी, एसपी या उनके द्वारा अधिकृत पुलिस पदाधिकारी ही प्रेस को जानकारी देंगे। यह भी दोहराया गया कि अनाधिकृत पुलिस पदाधिकारी मीडिया को बयान नहीं देंगे।

वहीं, पुलिस मुख्यालय के स्तर पर, अधिकृत पुलिस प्रवक्ता महत्वपूर्ण विषयों पर प्रेस नोट को डीजीपी के अनुमोदन के बाद ही मीडिया के सामने पढ़कर सुनाएंगे। इसके अलावा, किसी विशेष प्रभाग से संबंधित कोई भी जानकारी उस प्रभाग के प्रमुख डीजीपी के अनुमोदन के बाद ही प्रेस के समक्ष प्रस्तुत करेंगे।

इस नए आदेश का उद्देश्य पुलिस विभाग में सूचनाओं के प्रवाह को नियंत्रित करना और यह सुनिश्चित करना है कि मीडिया में केवल सटीक और अधिकृत जानकारी ही पहुंचे।

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