बचाव पक्ष की ओर से न्यायालय में अधिवक्ता शुभेन्दु पाण्डेय, हिमांशु त्रिपाठी, श्रेश प्रताप सिंह व राजेश पाण्डेय ने पक्ष रखा

वाराणसी: सिगरा थाना क्षेत्र में धोखाधड़ी और गबन के एक मामले में आरोपी राजू कुमार प्रजापति को कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। न्यायालय ने सभी पक्षों की दलीलें सुनने और सबूतों पर विचार करने के बाद अभियुक्त की अंतरिम अग्रिम जमानत याचिका को स्वीकार कर लिया है।

यह था प्रथम अग्रिम जमानत प्रार्थना-पत्र – यह प्रथम अग्रिम जमानत प्रार्थना-पत्र आवेदक/अभियुक्त राजू कुमार प्रजापति की ओर से मुकदमा अपराध संख्या-169/2025 (धारा 316(2), 318(2), 318(4) BNS) के तहत प्रस्तुत किया गया था। आवेदक ने यह शपथ पत्र दिया कि उनका यह पहला अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र है और न तो उच्च न्यायालय और न ही किसी अन्य न्यायालय में कोई और याचिका लंबित या निस्तारित है।

क्या था पूरा मामला? – मामले की शुरुआत तब हुई जब वादी मनीष कुमार, जो आई.पी. सिनेमा मॉल का संचालन करते हैं, उन्होंने सिगरा थाने में एक प्राथमिकी (FIR) दर्ज कराई।

अभियोजन पक्ष के अनुसार, वादी की कंपनी में उदयभान मिश्रा मैनेजर और राजू प्रजापति (आवेदक) हेल्पर/कैशियर के पद पर कार्यरत थे। आरोप था कि हाल ही में हुई जाँच में बोतल बंद पानी और आई.पी. मार्का पॉपकॉर्न के डिब्बे बड़ी मात्रा में पाए गए, जिन्हें कंपनी द्वारा खरीदा नहीं गया था। वादी का आरोप था कि अभियुक्तों ने व्यक्तिगत लाभ और कंपनी को लाखों का आर्थिक नुकसान पहुँचाने के लिए साजिश के तहत ये माल खरीदा, जिसका अंकन स्टॉक रजिस्टर में नहीं किया गया, और पैसे का गबन किया।

अभियुक्त राजू प्रजापति का पक्ष – आवेदक/अभियुक्त राजू कुमार प्रजापति के विद्वान अधिवक्ता शुभेन्दु पाण्डेय, हिमांशु त्रिपाठी, श्रेश प्रताप सिंह व राजेश पाण्डेय ने कोर्ट में ज़ोरदार तर्क रखा। उन्होंने कहा कि अभियुक्त निर्दोष है और उसे झूठे, फर्जी तथा साजिशी तथ्यों के आधार पर फँसाया गया है। अभियुक्त ने आरोप लगाया कि वादी (आई.पी. मॉल के मालिक) ने उसे अपने काले धन के बारे में बताया और जब राजू ने इसमें साथ देने से इनकार किया, तो उसे झूठे मुकदमे में फँसाकर नौकरी से निकाल दिया गया। अ

धिवक्ता ने 30-31 मार्च 2025 की एक घटना का भी उल्लेख किया, जहाँ 100 पेटी की जगह गलती से 150 पेटी पानी की बोतलें आ गईं थीं। राजू ने यह बात सह-अभियुक्त उदयभान मिश्रा के माध्यम से मालिक मनीष तलवार को बताई थी, जिन्होंने कहा था कि “कोई दिक्कत नहीं है, लौटाने की ज़रूरत नहीं है।”

राजू ने आरोप लगाया कि 26 अप्रैल 2025 को वादी और उनकी पत्नी प्रीति तलवार ने उसे अपने ऑफिस बुलाकर मारा-पीटा, यहाँ तक कि प्रीति तलवार ने क्रिकेट बैट से उसके कान पर वार किया, जिससे वह बेहोश हो गया। अभियुक्त का कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और सह-अभियुक्त उदयभान मिश्रा को पहले ही 05 जुलाई 2025 को अग्रिम जमानत मिल चुकी है।

कोर्ट का अहम फैसला – दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और अभियोजन प्रपत्रों का गहन अध्ययन करने के बाद, प्रभारी सत्र न्यायाधीश की अदालत ने पाया कि अभियुक्त पर धोखाधड़ी और स्टॉक रजिस्टर में अनियमितता का आरोप है। मामले में अधिकतम सात वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। अभियुक्त ने विवेचना में सहयोग किया है और विवेचना के दौरान उसकी गिरफ्तारी नहीं हुई। सह-अभियुक्त को पहले ही अग्रिम जमानत दी जा चुकी है।

मामले के गुण-दोष पर कोई टिप्पणी किए बिना और संपूर्ण तथ्यों तथा परिस्थितियों को देखते हुए, कोर्ट ने पाया कि अभियुक्त को अग्रिम जमानत प्रदान करने का पर्याप्त आधार है।

आदेश तदनुसार, अभियुक्त राजू कुमार प्रजापति की ओर से प्रस्तुत अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र संख्या 3673/2025 स्वीकार किया जाता है। प्रार्थी/अभियुक्त को 50,000/- रुपये के दो सक्षम प्रतिभू और इसी धनराशि के व्यक्तिगत बंधपत्र प्रस्तुत करने पर निम्न शर्तों के अधीन अग्रिम जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया गया। अभियुक्त को 15 दिन के भीतर संबंधित न्यायालय में उपस्थित होकर बंधपत्र दाखिल करना होगा।

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